वैक्सीन अप्रूवल पर विवाद, विशेषज्ञों के सवालों के बाद टीके कितने भरोसेमंद?

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका और भारत बायोटेक की वैक्सीनों को भारत में मंज़ूरी मिलने के बाद विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने तो विश्वसनीयता को लेकर सवालखड़े किए ही, विशेषज्ञों ने भी अप्रूवल प्रक्रिया (Vaccine Approval Process) पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. मामला बहस का हो गया है क्योंकि कोविशील्ड और कोवैक्सिन को मंज़ूरी मिलते ही पीएम नरेंद्र मोदीने इसे ‘गर्व की बात’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘गेमचेंजर’ जैसा बताया तो स्वास्थ्य और औषधि विशेषज्ञों ने वैक्सीन से जुड़े ज़रूरी डेटा न होने के बावजूद दिए गए अप्रूवल पर सख़्त ऐतराज़ जताया.

वेल्लूर मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और महामारियों के खिलाफ वैक्सीनों से जुड़े ग्लोबल संगठन CEPI की उपाध्यक्ष डॉ. गगनदीप कांग ने तो एक इंटरव्यू में यहां तक कह दिया कि उन्होंने ‘ऐसा कभी नहीं देखा है और यह बहुत ही हैरान करने वाला कदम है.’ दूसरी तरफ, कांग्रेस के शशि थरूर, सपा के अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने भी वैक्सीन अप्रूवल को कठघरे में खड़ा किया. इस बहस में वैक्सीन पर विश्वास का मुद्दा कैसे खड़ा होता है?

वैक्सीनों के अप्रूवल के बाद ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क ने ‘शॉक्ड’ प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए कहा कि ‘वैक्सीन के प्रभाव को लेकर डेटा नहीं दिया गया, पारदर्शिता नहीं बरती गई, जिससे जवाब तो खैर क्या, सवाल ही खड़े होते हैं.’ यह प्रतिक्रिया तब आई जब भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल वीजी सोमानी की तरफ से बयान में मंज़ूर की गईं वैक्सीनों को 100% सुरक्षित करार दिया गया, लेकिन इससे जुड़े डेटा को लेकर कोई बातचीत नहीं की गई.

दूसरी तरफ, भारत की सबसे बड़े ​स्वास्थ्य विशेषज्ञों में शुमार डॉ. कांग ने टीओआई को दिए इंटरव्यू में साफ कहा कि ट्रायलों में वैक्सीन का क्या असर दिखा, इस बारे में कोई स्टडी या डेटा प्रकाशित या प्रस्तुत नहीं किया जाना हैरान करने की बात है. ‘मैंने आज तक कहीं ऐसा नहीं देखा.’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *