किसानों को लेकर हरसिमरत कौर ने लगाया केन्द्र सरकार पर आरोप, पढ़िये पूरी खास रिपोर्ट

नयी दिल्ली। अकाली दल नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर सरकार के रवैये को असंवेदनशील और अहंकार से भरा बताते हुए कहा कि कोविड-19 के समय में जब लोग घरों में बंद थे तब अध्यादेश के जरिये इन्हें थोप दिया गया और बाद में शंकाएं दूर किये बिना कानून बना दिया गया। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि अनाज उत्पादन का पवित्र काम करने वाले किसान आज अपनी जायज मांग को लेकर ठिठुरती ठंड में पिछले 70-75 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं जिनमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी हैं। केंद्र की भाजपा नीत सरकार में मंत्री रह चुकीं कौर ने कहा कि पिछले छह महीने से, जब अध्यादेश लाया गया, तब से किसान अपनी मांग रख रहे हैं, लेकिन इस सरकार के आंख, कान और मुंह बंद हैं। उन्होंने कहा कि वह सरकार में थीं, लेकिन जब सरकार अमानवीय हो जाती है तब उस सरकार में क्यों रहना। शिरोमणि अकाली दल सांसद ने दावा किया, ‘‘ पिछले दो महीने से अधिक समय से किसान शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं। शिक्षक, दुकानदार, वकील सहित समाज का हर वर्ग इनका समर्थन कर रहा है लेकिन जिसे वे अपनी संवेदनाएं एवं भावनाएं बताना चाहते हैं, उनमें से सरकार का कोई नामुइंदा इनकी बात सुनने नहीं आया। ’’ हरसिमरत कौर बादल ने अपनी बात रखते हुए कई पोस्टर भी दिखाये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मन की बात करते हैं लेकिन 100 से अधिक किसान के मौत का क्या। अकाली दल सांसद ने कहा, ‘‘ 5 जून को जब कोविड-19 के कारण लोग घरों में बंद थे तब इसकी आड़ में अध्यादेश थोप दिया गया। इसके बाद किसानों में डर पैदा हो गया कि उनकी एमएसपी खत्म हो जायेगी, मंडियां खत्म हो जायेंगी।’’

हरसिमरत ने कहा कि तब उन्होंने सरकार के मंत्रियों से कहा था कि किसानों के मन का डर दूर करें और इसके बाद उन्हें कहा गया कि कानून बनाने से पहले किसानों की आशंकाओं को दूर किया जायेगा। उन्होंने कहा, ‘‘ हम सबसे पुराने सहयोगी थे (राजग में)। जब इनके (भाजपा) दो सांसद थे तब से साथ में खड़े थे लेकिन इन्होंने किसी की नहीं सुनी। ’’ अकाली दल सांसद ने कहा कि जब किसान कानून नहीं चाहते तब इस ‘‘काले कानून’’ को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि साल 2011 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार से कहा था कि एमएसपी सुनिश्चित की जाए। हरसिमरत ने कहा कि यही तो किसान चाहते हैं, किसान भी एमएसपी सुनिश्चित करना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि कानून में भारतीय खाद्य निगम को खरीद और वितरण से हटाने की बात कही जा रही है, इसलिये किसान डरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन कभी आंदोलन को बिचौलियों का आंदोलन, कभी इसे माओवादियों का आंदोलन और कभी खालिस्तानियों का बताया जा रहा है। अकाली दल सांसद ने कहा कि 26 जनवरी को लाल किले में जो हुआ, उसका दुख है लेकिन यह खुफिया विफलता है।

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