पल-पल रूप बदलता है सीतापुर के भूतेश्वरनाथ मंदिर का शिवलिंग

सीतापुर के नैमिषारण्य में भगवान ब्रह्मा द्वारा स्थापित इस शिवलिंग की अपनी खासियत है। यह दिन में तीन बार अपना रूप बदलता है।

यूं तो पूरा सावन का महीना भगवान भोले शंकर की आराधना के लिए विशेष माना जाता है, लेकिन सीतापुर के नैमिषारण्य भूतेश्वर नाथ मंदिर में साल के हर महीने भक्तों की भीड़ लगी रहती है। भगवान ब्रह्मा द्वारा स्थापित इस शिवलिंग की अपनी खासियत है। यह दिन में तीन बार अपना रूप बदलता है। बाबा भूतेश्वर नाथ को नैमिषारण्य का कोतवाल भी कहा जाता हैं यह शिवलिंग कई मायनों में खास है।

88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य में चक्रतीर्थ के किनारे भूतेश्वर नाथ मंदिर स्थित है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। इसके बारे में यह मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रूप बदलता है। पुरोहितों का यह भी दावा है कि अन्य सभी जगह शिव के निराकार स्वरूप के दर्शन होते हैं। जबकि नैमिषारण्य के इस भूतेश्वर नाथ मंदिर में शिव जी साकार विग्रह स्वरूप में विराजमान हैं।

प्रातः काल उनका रूप बाल्यकाल का होता है। दोपहर 12 बजे इस प्रतिमा का रूप रौद्ररूप का होता है। जबकि सायंकाल 6 बजे यह रूप दयालु रूप में परिवर्तित हो जाता है।

नैमिषारण्य में भगवान शिव के जो प्रमुख मंदिर हैं। उनमें भूतेश्वर नाथ का प्रमुख स्थान है। चक्रतीर्थ में स्नान करने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में आकर दर्शन-पूजन जरूर करते हैं। मान्यता यह भी है कि यहां मांगी गई मनौती को भगवान भोले नाथ जरूर पूरा करते हैं। इसलिए सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ इकट्ठा होती है। मन्दिर के पुरोहित सुनीत पांडेय का कहना है कि जो मंदिर के श्रृंगार में शामिल होकर अपने जीवन को धन्य करते हैं। जो मनुष्य इन तीनो स्वरूपो का दर्शन कर लेता है उसे भगवान भोलेनाथ प्रत्यक्ष दर्शन देते है। ऐसी मान्यता पुराणों में कही गई है।

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