बीजेपी….. ये राह नहीं आसान

यूपी विधानसभा चुनाव अपने आखिरी पड़ाव पर है. अंतिम दो चरणों के लिए पूर्वांचल में मतदान होना है. ऐसे में सभी मुख्य पार्टियों ने आखिरी जंग फतह करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. सबसे ज्यादा चुनौती बीजेपी के लिए है. पूर्वांचल की जिन सीटों पर मतदान होना है वहां बीजेपी काफी कमजोर रही है. यही वजह है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत तमाम केंद्रीय मंत्री और पूरा प्रदेश नेत़त्व पूर्वांचल में डटा हुआ है. सबसे खास जोर वाराणसी पर है. पूर्वांचल में वाराणसी बीजेपी के लिए सिर्फ जीत का टोकन ही नहीं बल्कि साख का सवाल भी है. पहली वजह ये कि पीएम मोदी खुद यहां से सांसद हैं. दूसरा की हालत वाराणसी में ऐसी नहीं कि वह क्लीन स्वीप कर सके. तीसरा समस्या पार्टी के बागी कार्यकर्ता भी हैं. जिनमें से कुछ बीजेपी के खिलाफ ही ताल ठोक रहे हैं.

वाराणसी में आठ विधानसभा सीटें हैं. इनमें से वाराणसी शहर की तीनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. अब यहां टिकट बंटवारा बीजेपी की बड़ी समस्या बन गया जिसके बाद कई नेता खुली बगावत पर उतर आए हैं. हालांकि सात बार के विधायक श्यामदेव राय चौधरी को तो पार्टी ने समझा लिया लेकिन सुजीत सिंह बागी हो गए हैं. सुजीत सिंह वाराणसी उत्तरी सीट से टिकट मांग रहे थे लेकिन उन्हें नहीं दिया. अब सुजीत सिंह इस सीट से बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं श्यामदेव राय चौधरी की जगह बीजेपी ने जिस नीलकंठ त्रिपाठी को टिकट दिया है. माना जा रहा है कि युवाओं को लुभाने के लिए नीलकंठ को टिकट दिया गया लेकिन उनकी राजनीतिक जमीन का कोई इतिहास नहीं रहा. अब बीजेपी की चुनौती मौजूदा तीन सीटों पर परचम बरकरार रखने साथ जातीय समीकरण साधने की है. वाराणसी में मुस्लिम, यादव, ब्राह्मण, वैश्य और दलित बड़ी संख्या में हैं जिनका वोट 10 फीसदी के आसपास है.

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