मसूरी की जनता जुटी थापली के साथ

जनपद देहरादून की हॉट मानी जाने वाली मसूरी विधानसभा सीट के लिए जहां भाजपा के साथ-साथ अन्य निर्दलीयों ने भी एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की महिला प्रत्याशी गोदावरी थापली इस सीट पर अपना कब्जा जमाने के लिए कमर कस चुकी हैं। अब देखना है कि भाजपा के गणेश जोशी को कांग्रेस की थापली पटखनी देने में कितनी कामयाब होती हैं। पेश है कौमी गुलदस्ता ब्यूरो की एक खास रिपोर्ट।

उत्तराखण्ड की कड़कड़ाती ठंड में चुनावी गर्मी जोर पकड़ने लगी है। नामांकन होने के बाद अब सभी पार्टियों का चुनाव अभियान अपनी चरम सीमा पर है। मसूरी विस का यह चौथा चुनाव है। परिसीमन के बाद यहां वोटरों की संख्या एक लाख दो हजार थी जो अब बढ़कर एक लाख पच्चीस हजार हो गयी है। जिसमें 30 हजार गोरखा वोटर्स हैं। और गोदावरी थापली स्वयं गोरखाली समाज से हैं। जिस कारण मसूरी विधानसभा क्षेत्र में हार-जीत का फैसला गोरखा मतदाताओं पर निर्भर करता है अगर थापली को इन 30 हजार मतदाताओं में से 10 से 15 हजार वोट भी मिल गये तो गोदावरी थापली की जीत सुनिश्चित है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि मसूरी में 2002 में 44 प्रतिशत, 2007 में 56 प्रतिशत और 2012 में 61 प्रतिशत मतदान हुआ। साथ ही जीत का अंतर भी 2012 में 9776 वोटों का रहा। इस बार वोटिंग प्रतिशत 67 फीसदी होने का अनुमान है यानि कुल वोट 83 हजार पड़ सकते हैं। इस लिहाज़ से गोरखा समाज का मसूरी
विधानसभा क्षेत्र में 30 हजार वोट का फर्क समझ में आसानी से आ जायेगा कि जिसको भी यह वोट बैंक मिला उसकी जीत सुनिश्चित।
ज्ञात हो कि वर्ष 2007 के चुनाव में कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला महज 1138 वोटों से ही विजयी हुए थे। इसलिए इस
विधानसभा क्षेत्र में एक-एक वोट की कीमत मायने रखती है। लेकिन एक बात तो साफ है कि इस बार कांग्रेस ने गोरखा समाज की गोदावरी थापली को टिकट देकर मसूरी
विधानसभा चुनाव में जीत एक तरफा कर दी है। थापली को टिकट देकर कांग्रेस ने गोरखा समाज को अपनी ओर तो किया ही है साथ ही साथ इस चुनाव में गोरखाओं को उम्मीद भी जगी है। अब देखना है कि गोरखा समाज उत्तराखण्ड में मिली इस एक मात्र सीट की लाज बचा पाता है या नहीं।

इस बार मसूरी विधानसभा चुनाव में गोदावरी थापली की जीत को लेकर सभी कांग्रेस क्षत्रप एक जुट नजर आ रहे हैं। चुनाव के लिए अपनी कमर कस चुकी गोरखा मूल की कांग्रेस प्रत्याशी गोदावरी थापली ने विधानसभा क्षेत्र के गोरखा बाहुल्य गढ़ी कैंट और डाकरा में अपने समर्थकों के साथ रोड शो किया। इस दौरान घर-घर जाकर गोदावरी थापली ने गोरखा समाज के साथ सभी अन्य समुदाय के लोगों से भी अपने पक्ष में वोट करने की अपील की। इस सघन जनसम्पर्क में थापली ने अपने साथ भारी संख्या में महिलाओं-पुरूषों के साथ अपनी ताकत को दिखाते हुए इस क्षेत्र के व्यापारी वर्ग को भी अपने पक्ष में वोट करने की अपील की। गोदावरी गढ़ी कैंट स्थित गोर्खाली सुधार सभा के कार्यालय भी पहंुंची, जहां उनका सभा के
पदाधिकारियों ने आत्मीय स्वागत किया। गौरतलब है कि इस विधानसभा क्षेत्र में 30 हजार के करीब गोरखा मतदाता है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा गढ़ी कैंट और डाकरा के आस-पास के इलाकों में रहता है।
इसके अलावा देहरादून के गोरखा समुदाय की हाल ही में ब्रिगेडियर ;सेवानिवृत्तद्ध पुरन सिंह गुरूंग के नेतृत्व में बनी एकीकृत संस्था ‘गोरखा एकता मंच’ ने गोदावरी थापली को सर्वमान्य तौर पर चुनाव में विजयी बनाने के लिए अपना बिना शर्त समर्थन दिया है। देहरादून के छह विधानसभा सीट में से केवल मसूरी में गोरखा कैंडिडेट को राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का टिकट मिला है। इसके बाद गोरखा समुदाय ने भी अपनी समाज की बेटी गोदावरी थापली के सपोर्ट में एकजुटता दिखायी। मसूरी विधानसभा क्षेत्र में गोरखाली मतदाताओं की संख्या काफी
अधिक है और इनका वोट बैंक चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। मसूरी क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से एक चौथाई मतदाता गोर्खाली समाज से ही आते हैं और ये जिसके भी पक्ष में अपना मतदान करते हैं उसकी एकतरफा जीत सुनिश्चित हो जाती है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में हर एक प्रत्याशी गोर्खाली समुदाय को अपने पक्ष में करने का भरसक प्रयास करता है।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में गोर्खाली वोट बैंक के दम पर ही भाजपा प्रत्याशी गणेश जोशी ने जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार कांग्रेस की प्रत्याशी गोदावरी थापली खुद गोर्खाली हैं। अब सभी लोगों के मन में यही सवाल उठ रहा है कि इस बार के चुनाव मेें गोर्खाली समुदाय किसके पक्ष में अपना मत करेगा। जाहिर है कि यह एक तरफा वोट गोदावरी थापली के ही पक्ष में जायेगा।

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