राहुल गांधी के विदेश दौरे से असहज हैं विपक्ष के कई नेता

राहुल गांधी का विदेश दौरा लगातार विपक्ष के लिए सिर का दर्द बनता जा रहा है। अहम मौके पर राहुल गांधी के विदेश दौरे को लेकर भाजपा लगातार उन पर तंज कस रही है तो वहीं विपक्ष के ज्यादातर नेताओं की यही राय है कि राहुल को इस वक्त विदेश यात्रा से बचना चाहिए था। लेकिन यह पहला मौका नहीं है कि जब राहुल गांधी ने अपने विदेश यात्रा के जरिए भाजपा को मजाक उड़ाने का अच्छा मौका दिया है। इससे पहले भी राहुल गांधी ऐसा लगातार करते रहे हैं। राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा तो बनने को उतारू है पर विपक्ष के नेता के तौर पर अब तक वह फिट नहीं हो पा रहे हैं। कांग्रेस को समर्थन कर रही कई पार्टियां भी अभी राहुल गांधी को लेकर सहज नहीं हैं। विपक्ष के एक बड़े नेता से अलग-अलग दलों के नेता मिलने पहुंचे तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कि राहुल गांधी के विदेश दौरे से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन हम सब पर पड़ता है। गैर एनडीए के ज्यादातर नेता राहुल गांधी के विदेश दौरे को लेकर असहज दिख रहे हैं।

विपक्ष के ज्यादातर नेताओं का मानना है कि इस अहम मौके पर राहुल गांधी को देश में होना चाहिए था। लेकिन उन्होंने अपने व्यक्तिगत एजेंडा को महत्व देते हुए विदेश दौरा करना ज्यादा सही समझा। विपक्षी नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी की इस लापरवाह रवैया के कारण उनकी छवि एक गैर जिम्मेदार नेता की बन रही है। उनका साफ तौर पर कहना है कि जब सरकार कोरोनावायरस वैक्सीन को लेकर लगातार नए-नए दावा कर रही है, देश में किसान आंदोलन पर बैठे हुए हैं, ऐसे समय में उनका विदेश दौरा कहीं ना कहीं हम सब को नुकसान कर सकता है। खास बात यह है कि कांग्रेस के सबसे बड़ा चेहरा होने के बावजूद राहुल गांधी पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम में भी शामिल होना जरूरी नहीं समझा। यह पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी किसी खास अवसर पर नदारद हैं। इससे पहले भी हमने देखा है कि कई मौकों पर राहुल गांधी देश में नहीं रहते हैं। कभी-कभी तो संसद सत्र शुरू होने के दौरान ही वह विदेश दौरे पर निकल जाते हैं।

हाल में ही राहुल संसद के मानसून सत्र के दौरान विदेश दौरे पर निकल गए थे। इसी सत्र के दौरान कृषि बिल भी पास किए गए थे जिसको लेकर आज किसान सड़कों पर है। किसानों का समर्थन राहुल गांधी कर रहे हैं लेकिन उस दिन वह गायब थे जिस दिन यह बिल संसद में पास किया गया। साल की शुरुआत में भी हमने देखा कि किस तरीके से राहुल गांधी विदेश दौरे पर निकल गए थे। यह दौरा उस समय हो रहा था जब पूरा विश्व कोरोना वायरस की चपेट में आ रहा था। माना जा रहा था कि उस समय भी राहुल गांधी इटली गए थे लेकिन इसको लेकर पार्टी ने कोई जानकारी नहीं दी थी। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी छुट्टियां मनाने विदेश चले गए थे। वह उस समय भी अनुपस्थित रहे जब महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे और पार्टी मजबूती से लड़ने का दावा कर रही थी।

उस समय यह दावा किया गया था कि राहुल गांधी बैंकॉक गए थे। जब महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो राहुल गांधी फिर एक बार विदेश यात्रा पर निकल गए। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा लेकिन राहुल को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा और वह मेडिटेशनल ट्रिप के लिए विदेश चले गए। खास बात यह है कि इसी दौरान कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने के लिए आर्थिक मंदी, बेरोजगारी के अलावा कई मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रही थी। राहुल उस दौरान भी विदेश में थे जब पंजाब विधानसभा चुनाव होने वाले थे। नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने की तैयारी थी लेकिन राहुल न्यू ईयर पार्टी मनाने में व्यस्त थे। जब संसद में एसपीजी बिल पर चर्चा हो रही थी तब गृहमंत्री अमित शाह ने बताया था कि राहुल गांधी ने 2015 से लेकर अगले 4 सालों तक कम से कम 247 विदेश यात्राएं की थी। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल विदेश दौरों में कितना व्यस्त रहते हैं। राहुल के इसी रवैया ने एक बार फिर से भाजपा को उन पर प्रहार करने का एक अच्छा मौका दे दिया है।

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