150 साल बाद नींद से जागा ‘भारत का इकलौता’ ज्वालामुखी

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 150 से अधिक वर्षों तक निष्क्रिय रहने के बाद भारत के एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी से एक बार फिर से राख और लावा निकलना शुरू हो गया है. यह जानकारी गोवा स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्था (एनआईओ) के शोधकर्ताओं ने दी है. ज्वालमुखी के सक्रीय होने से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है. वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम पिछले महीने जब इस इलाके का दौरा करने गई थी, तब उसने ज्वालामुखी से राख निकलती देखी थी. वैज्ञानिकों ने राख के नमूने इकट्ठा किए हैं. पिछले दिनों वैज्ञानिकों ने वहां से लावा भी निकलते देखा है. टीम का नेतृत्व कर रहे वैज्ञानिक अभय मुधोलकर ने बताया,‘अंडमान और निकोबार द्वीप का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी एक बार फिर सक्रिय हो गया है. बैरन द्वीप पर स्थित ज्वालामुखी पोर्ट-ब्लेयर से 140 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है और 150 वर्षों तक निष्क्रिय रहने के बाद 1991 में फिर से सक्रिय होने के बाद यह रुक-रुक कर सक्रिय होता रहा है.’

बैरन द्वीप दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है. तीन किलोमीटर में फैला बैरन द्वीप अंडमान द्वीपों का पूर्वी द्वीप है. बैरन का मतलब बंजर होता है. यहां कोई आबादी नहीं है और जंगल भी कम है. नाममात्र के पशु-पक्षी ही यहां देखे गए हैं. इसके बारे में 1787 से रिकॉर्ड उपलब्ध हैं और तब से अब तक करीब 10 बार ज्वालामुखी फट चुके हैं. ज्वालामुखी वहां पाए जाते हैं जहां टेकटोनिक प्लेटों में तनाव हो या फिर पृथ्वी का भीतरी भाग बहुत गर्म हो.

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