Uttarakhand: नैनीताल में आज भी चारों दिशाओं से भूस्खलन का खतरा, 1880 की त्रासदी को याद कर सिहर उठते हैं लोग
18 सितंबर का दिन नैनीताल के इतिहास की सर्वाधिक दर्दनाक घटना की याद दिलाता है जिसमें 151 लोग भूस्खलन की चपेट में आकर मारे गए थे। इनमें 108 भारतीय और 43 यूरेशियाई नागरिक थे। इस भूस्खलन में घोड़ा स्टैंड पर खड़े 17 घोड़ों की भी मलबे में दबकर जान चली गई थी। इस हादसे के 144 वर्ष बाद हाल में नैनीताल फिर से भूस्खलन की त्रासदी भुगत रहा है। विभिन्न स्थानों पर हो रहे भूस्खलन से शहर की स्थिति चिंताजनक है।
बलियानाला क्षेत्र में जहां लंबे समय से भारी भूस्खलन जारी है वहीं नैना पीक, सात नंबर क्षेत्र टिफिन टॉप, रूसी, निहाल नाला क्षेत्र, भवाली मार्ग पर कैलाखान के निकट, आलू खेत आदि क्षेत्रों में भी समय-समय पर भूस्खलन होता रहता है। सबसे बुरा हादसा बीते महीने छह अगस्त को टिफिन टॉप क्षेत्र में हुआ, जहां नगर की एक विरासत डोरोथी सीट का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। हाल के वर्षों में लोअर मॉलरोड और बैंड स्टैंड के निकट की जमीन भी दरक चुकी है। 23 सितंबर 2023 को मल्लीताल चार्टन लॉज क्षेत्र में उसी आल्मा पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ, जहां वर्ष 1880 का भूस्खलन हुआ था। इसमें दोमंजिला एक मकान ध्वस्त हो गया और क्षेत्र के कई परिवारों को विस्थापित होना पड़ा। इस वर्ष भी तमाम परिवार विस्थापित किए गए हैं।