उत्तराखंड: सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही कांग्रेस के दो दिग्गज आमने-सामने
सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही कांग्रेस के दो सियासी दिग्गज हरीश रावत और किशोर उपाध्याय आमने-सामने हैं। दोनों के बीच शब्दों के तीर चल रहे हैं। किशोर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें सहसपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाए जाने को एक बड़े नेता का साजिश करार दिया तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी उन्हें अपने अंदाज जवाब दे दिया। उन्होंने कहा कि 2017 में हम कुछ नहीं केवल उनके खिलाफ षड्यंत्र कर रहे थे।
कांग्रेस के बड़े नेता ने षड्यंत्र कर हरवाया चुनाव
हरीश रावत को संबोधित पत्र में किशोर ने लिखा था कि 2012 का चुनाव उन्हें जनता ने नहीं हराया, कांग्रेस के बड़े नेता ने षड्यंत्र कर हरवाया और अब उन्हें लगता है कि 2017 में भी वह एक बड़े षड्यंत्र का शिकार हो गए। पत्र की प्रति उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को भी भेजी। उनके इस बयान के बाद अब बारी हरीश रावत के जवाब की थी। हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर चुटीले अंदाज में जवाब दागा। उन्होंने लिखा, मेरे एक अनन्य सहयोगी ने बहुत बार ये सार्वजनिक चर्चा छेड़ी है कि उन्हें सहसपुर से षड्यंत्र पूर्वक लड़ाया गया, उनके न चाहते हुए लड़ाया गया और यह घटनाक्रम 2017 के विधानसभा चुनाव का है। कद्दू छुरी पर गिरे या छुरी कद्दू पर गिरे नुकसान हमारा अपना ही हरीश रावत ने आगे लिखा कि टिहरी जहां से वह लड़ते रहे हैं, उस सीट से कांग्रेस पार्टी ने अंतिम दम पर उनकी संस्तुति पर ही उम्मीदवार तय किया और लड़ाया। टिहरी के लोग बड़ी संख्या में आए भी। पीसीसी में उपवास भी रखा और हमने पीसीसी में जाकर के घोषणा की कि अब भी यदि वो मानते हैं तो हमें बड़ी खुशी होगी कि वो टिहरी से लड़ें।
देखते हैं, कहां तक संयम साथ देता : हरीश रावत
क्योंकि पार्टी उनको टिहरी के नेता के रूप में आज भी देखती है, पहले भी देखती रही है। निर्णय हमारे साथी का था, जब वो 2017 का चुनाव ऋषिकेश से लड़ना चाहते थे। सबने उनके इस संकेत का भी स्वागत किया। फिर डोईवाला, रायवाला का भी उन्होंने आकलन किया। स्क्रीनिंग कमेटी में सारे सदस्यों के सामने उन्होंने अपने परिवार के लोगों से पूछा कि मुझे कहां से लड़ना चाहिये और जब उधर से सुझाव आया कि सहसपुर से आप लड़िये तो उनके कहने के बाद ही स्क्रीनिंग कमेटी ने सहसपुर से उनका नाम फाइनल किया। अब यह षड्यंत्र न जाने कितना बड़ा हो गया है। ऐसा लगता है कि 2016-17 में हम और कुछ नहीं कर रहे थे। केवल उनके खिलाफ षड्यंत्र ही कर रहे थे। जब हम आगे बढ़ते हैं, तो उसमें बहुत सारे लोगों का हाथ होता है। सहयोग होता है। उन सबको षड्यंत्री समझ लेना कहां तक न्यायसंगत है।