हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर मुकाबला रोचक
देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत के चुनाव लडऩे के कारण हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर मुकाबला रोचक होता जा रहा है। लेकिन हरीश रावत के प्रति वर्ष 2009 जैसा क्रेज नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानंद बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मुकर्रम अंसारी और कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत चुनाव प्रचार में एक दूसरे को बाजी देने को तैयार नहीं हैं। तीनों ही पार्टी के प्रत्याशी पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। तीनों ही प्रत्याशियों के समर्थन में विभिन्न क्षेत्रों के लोग भी हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर दिन रात दौड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद अपने विधानसभा क्षेत्र में अधिक समय दे रहे हैं। वहीं उनकी पुत्री अनुपमा रावत और पत्नी रेणुका रावत भी इसी विधानसभा सीट पर डेरा डाले हुए है। भाजपा प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानंद के समर्थन में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सभा कर चुके हैं। संतों के साथ ही भाजपा समर्थित मतदाताओं की विशेष टीमें भी इसी सीट पर जुटी हुई हैं। वहीं बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मुकर्रम अंसारी के समर्थन में बसपा संगठन के साथ ही अन्य क्षेत्रों के मुस्लिम कार्यकर्ता व नेता भी वही लगे हुए हैं। अभी तक की जो चुनावी तस्वीर सामने आई है, उसमें मुकाबला त्रिकोणीय ही बना हुआ है। एक दूसरे के परंपरागत वोट में तीनों ही प्रत्याशी सेंधमारी कर रहे हैं। यदि कोई बहुत बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम नहीं हुआ तो इस विधानसभा सीट पर अब तक मुकाबला त्रिकोणीय ही रहेगा। इस विधानसभा सीट पर एक बात जरूर सामने आई है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रति जनता में वैसा क्रेज नहीं है। जैसा कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उनके प्रति था। वर्ष 2009 में जब हरीश रावत हरिद्वार लोकसभा चुनाव लड़ा था तो तब सभी वर्ग के लोगों में उनके प्रति बढ़ा क्रेज था। जिसके चलते उन्हें अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले बहुत अधिक वोट प्रान्त हुआ था। लेकिन अब मुख्यमंत्री होने के बाद भी उनके प्रति जनता में उतना क्रेज नहीं है। वजह चाहे जो भी हो। लेकिन जिन हरीश रावत को वर्ष 2009 में खुद मतदाता कार्यकर्ता बनकर जिताने में लगा था। अब उसी मतदाता को मुख्यमंत्री के सिपहसलारों को मनाने के लिए गलियारों में जाना पड़ रहा है। बावजूद इसके अभी तक ऐसी चुनावी समीकरण हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर नहीं बने हैं जिसमें कहा जा सके कि मुख्यमंत्री हरीश रावत सीधे तौर पर जीत रहे हैं क्योंकि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मुकर्रम अंसारी और भाजपा प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानंद को कहीं पर भी कम वोट नहीं मिल रहा है। दोनों बराबर वोट प्रान्त कर रहे हैं। जिससे कि लगता है कि चुनाव अंतिम में जाकर बहुत कम वोटों के बीच फंस सकता है। हालांकि 10 फरवरी के बाद हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर चुनावी संसाधन अपना असर दिखाने लगेंगे। तीनों ही प्रत्याशी के रणनीतिकार अंतिम के 5 दिनों के लिए अपने अपने तरीके से बढ़त बनाने के लिए रणनीति तैयार बना चुके हैं।