महिलाओं का मिला आर्शीवादः हरीश

चुनाव के बाद संभावित नतीजों को लेकर मतदाताओं की थाह लेने में जुटी कांग्रेस मतदान प्रतिशत कम होने से परेशानी महसूस कर रही है। पार्टी की परेशानी उन क्षेत्रों को लेकर ज्यादा है जो उसके परंपरागत गढ़ माने जाते हैं। इस बार पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मैदान तक में मतदान में महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़ा, और महिलाएं किसे सूबे में सत्ता की बागडोर सौंपेंगी, पार्टी इसका अंदाजा लगाने में जुटी है। पार्टी ये भी उम्मीद कर रही है कि जिस तरह प्रदेश सरकार को सत्ता से बेदखल करने की कोशिशें हुई, उससे उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं का समर्थन उसके खाते में गया है। उधर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने डाक मतपत्रों को प्रभावित करने का अंदेशा जताते हुए मतदान के अंतिम दिन तक दिए गए मतों को ही वैध मानने की मांग करते हुए निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंपा है।

प्रदेश की सत्ता में वापसी का ख्वाब संजोए बैठी कांग्रेस मतदान के शुरुआती दौर से लेकर अंतिम दौर तक आंकड़ों से उभर रही तस्वीर का आकलन कर रही है। मतदान प्रतिशत पर्वतीय क्षेत्रों में अपेक्षाकृत बढ़ने के बजाए गिरा है। इन क्षेत्रों में पार्टी परंपरागत रूप से खुद को मजबूत स्थिति में आंकती रही है। फिर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जिसतरह चुनाव में उत्तराखंडीयत का दांव खेला, उससे पार्टी ये मान कर चल रही है कि उसका जनाधार बढ़ेगा। लेकिन मतदान के अंतिम आंकड़ों में हुए फेरबदल ने पार्टी के भीतर असमंजस बढ़ा दिया है। आंकड़ों ने तकरीबन ये साफ कर दिया है कि इस चुनाव में दलों का भाग्य पूरी तरह महिला मतदाताओं के रुख पर निर्भर है।

महिलाओं ने जिस दल पर भरोसा जताया होगा, सत्ता तक पहुंचने की उसकी राह उतनी ही आसान होगी। पार्टी को ये भी उम्मीद है कि महिलाओं को भावनात्मक रूप से जोड़ने में उसकी कोशिशें कामयाब होंगी। हालांकि पार्टी की उम्मीद पूरी होती हैं या नहीं, ये 11 मार्च को चुनाव नतीजे आने के बाद ही साफ होगा। उधर, मतदान के बाद सही तस्वीर को लेकर उलझन बरकरार होने के बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने डाक मतपत्रों एवं रक्षा सेनाओं के मतों पर नजरें गड़ा दी हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के जरिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में मतदान के अंतिम दिन 15 फरवरी को शाम पांच बजे तक दिए गए मतों को ही वैध माने जाने की पैरवी की है।

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