कश्मीर के हालात सुधारने की तैयारी, घुसपैठ रोकने में सफल

नई दिल्ली । अगले तीन महीने में कश्मीर घाटी में भारतीय रणनीति का असर पूरे रंग में दिखेगा। आतंकवादियों के सफाए और अलगाववादियों को हाशिये पर ढकेलने के लिए सुरक्षा एजेंसियां पूरी तैयारी से जुट गई है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि घाटी में घुसपैठ पर लगाम लगाने और आतंकी फंडिंग रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है। यही कारण है कि राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और राज्यपाल एनएन वोहरा अगले तीन महीने घाटी के अहम बता रहे हैं। अगली तीन महीने की अहमियत बताते हुए सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गर्मी के महीने में पहाड़ों पर बर्फ पिघलने के बाद आतंकियों की घुसपैठ सबसे अधिक होता है। इसके लिए पाकिस्तान ने गुलाम कश्मीर में 55 आतंकी शिविरों में हजारों की संख्या में आतंकियों जमा कर रखा है। जबकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां हर घुसपैठ को नाकाम करने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि यदि पाक प्रशिक्षित आतंकियों को रोकने में सफल रहे तो घाटी की फिजा में इसका असर दिखेगा और जुलाई-अगस्त में होने वाली अमरनाथ यात्रा के दौरान यह साफ भी हो जाएगा। वैसे अभी तक आतंकी घुसपैठ को रोकने में सुरक्षा एजेंसियों को काफी हद तक सफलता मिल रही हैं। गृहमंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि इस साल जनवरी से अप्रैल तक घुसपैठ की 60 से अधिक कोशिश की जा चुकी है। लेकिन केवल 15 आतंकी ही घुसपैठ में सफल हो सके हैं। इस कारण घाटी में पाक प्रशिक्षित आतंकियों की संख्या तेजी से घटी है। फिलहाल सक्रिय लगभग 160 आतंकियों में अधिकांश अप्रशिक्षित स्थानीय आतंकी हैं। जबकि पिछले साल तक पाक प्रशिक्षित आतंकियों की संख्या स्थानीय आतंकियों से बहुत ज्यादा थी। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अप्रशिक्षित आतंकी स्थानीय जन समर्थन और आपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों के खिलाफ पत्थरबाजी की आड़ में बचने की कोशिश रहे हैं। लेकिन सीमा पार सहायता के बिना लंबे समय तक उनका टिके रह पाना संभव नहीं होगा। आतंकियों की घुसपैठ रोकने के साथ ही सुरक्षा बल आतंकी फंडिंग को पूरी तरह रोकने भी सफलता मिली है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंकों में लूट की बढ़ती घटनाओं से साफ है कि घाटी में आतंकियों की फंडिंग रुकी है। पहले नोटबंदी के बाद पाकिस्तान से उच्च गुणवत्ता के नकली भारतीय नोटों की सप्लाई खत्म हो गई। इसके साथ ही एनआइए और ईडी की कार्रवाई से हवाला के मार्फत सीमा पार से आतंकी फंडिंग को रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है। यही कारण है कि रोजमर्रा के खर्चे के लिए आतंकियों को बैंक लूटना पड़ रहा है। बैंक लूट की सबसे अधिक घटनाओं वाले दो जिलों की बैंक शाखाओं में नकदी लेन-देन पर रोक लगाकर इसे रोकने की कोशिश शुरू हो गई है। इसके साथ ही अगले कुछ दिनों में अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं। यदि आतंकी फंडिंग पूरी तरह रूक गई, तो अपने-आप धीरे-धीरे आतंकियों के हौसले पस्त हो जाएंगे। घाटी में मौजूदा समय में बढ़े हिंसक प्रदर्शनों और आतंकी हमलों के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलगाववादी और आतंकी अपना अस्तित्व बचाने की अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं। घाटी में पिछले तीन दशक के दौरान आतंकवाद की एक समानांतर अर्थव्यवस्था पनप गई थी। भारतीय एजेंसियों की कार्रवाई से यह अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है। इससे इसका लाभ उठाने वाले लोगों में बेचैनी बढ़ी है, जो हिंसक प्रदर्शनों के रूप में सामने आ रही है। जाहिर है सुरक्षा एजेंसियां इन प्रदर्शनों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है।

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