नवरात्र में यहां आने से पूरी होती है मनचाही मुराद
21 सितंबर से नवरात्र शुरू हो जाएंगे। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं ऐसे देवी के ऐसे पवित्र स्थान के बारे में, जहां आने से मनचाही मुराद पूरी हो जाती है। जानिए, इस विश्वप्रसिद्ध मंदिर का ऐतिहासिक महत्व…
टिहरी जनपद में जौनपुर प्रखंड के सुरकुट पर्वत पर प्रसिद्ध सिद्धपीइ मां सुरकंडा का मंदिर स्थित है। यही वह मंदिर जिसकी हम बात कर रहे हैं। यहां आने वाले किसी भी भक्त को देवी मां निराश नहीं करती। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां देवी सती के सिर का हिस्सा गिरा था। जब राजा दक्ष ने कनखल में यज्ञ का आयोजन किया, तो उसमें भगवान शिव को बुलाया नहीं गया था, लेकिन शिव की अर्धांग्नी और राजा दक्ष की पुत्री सती ने यज्ञ में भाग लेने पहुंच गई। लेकिन यज्ञ में दक्ष द्वारा शिव का अपमान किए जाने से खिन्न और क्रोध में आकर सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी। इससे शिव का क्रोध विकराल हो गया। उन्होंने सती का शव अपने त्रिशूल में टांगा और आकाश में भ्रमण करने लगे। शिव द्वारा सती के शव के साथ आकाश में भ्रमण के दौरान त्रिशूल से सती के अंग धरती में गिरने लगे। इसी दौरान सिर का हिस्सा जहां गिरा, वहीं सुरंकडा देवी मंदिर की स्थापना की गई। इन सभी बातों का उल्लेख केदारखंड और स्कंद पुराण में मिलता है।