ये कैसा मेक इन इण्डिया

नरेंद्र मोदी देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ का नारा प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही दे रहे हैं. उनकी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन में भी यही नारा दिया गया था, लेकिन जो हकीकत सामने आ रही है उससे लगता है कि इस नारे से सरकार काफी दूर है. कई सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जापानी स्टील और इंजीनियरिंग कंपनियों के पास 17 अरब डॉलर यानी 1.1 लाख करोड़ रुपए के भारतीय बुलेट ट्रेन में बड़ा सौदा हासिल है. इसका मतलब यह हुआ कि भारतीय कंपनियों को इसमें कुछ खास नहीं मिला.

बड़ा ठेका जापान के पास!

एच टी में छपी खबर के अनुसार, जापान इस प्रोजेक्ट में काफी पैसा लगा रहा है और बुलेट ट्रेन वास्ते रेल लाइनों के निर्माण के लिए 70 फीसदी माल की सप्लाई जापानी कंपनी की ओर से किया जाएगा. हालांकि इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. जापानी परिवहन मंत्रालय इस प्रोजेक्ट में आधिकारिक रुप से शामिल है, और उसका कहना है कि सामान के सप्लाई के लिए दोनों देश मिलकर तय रणनीति के साथ काम करेंगे, इस मामले में जुलाई के आसपास जानकारी दी जाएगी. हालांकि इस पूरे प्रकरण पर आधिकारिक रूप से अनभिज्ञता जाहिर की.

पिछले साल सितंबर में भारत और जापान के बीच 2 शर्तों ‘मेक इन इंडिया’ का प्रसार और ‘तकनीक का आदान-प्रदान’ के साथ बुलेट ट्रेन पर करार किया गया था. नई दिल्ली को उम्मीद थी कि इस प्रोजेक्ट के जरिए देश में निर्माण उद्धोग बढ़ेगा, साथ ही नई नौकरियां पैदा होंगी और जापानी तकनीक को करीब से जानने का मौका मिलेगा. प्रधानमंत्री मोदी को 2019 में आम चुनाव में उतरना है, और उन पर भारत में बेरोजगारी कम करने के लिए लाखों नई नौकरियां सृजित करने का दबाव है.

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्प लिमिटेड (NHSRCL) के मैनेजिंग डायरेक्टर आचल खरे ने रॉयटर्स को बताया कि जापानी इस मामले में बेहद संकुचित सोच वाले हैं क्योंकि वो समझते हैं कि जापान में भारत की तुलना में काम करने की संस्कृति और सिस्टम पूरी तरह अलग है. दोनों देशों में काम करने के तौर-तरीके अलग हैं. खरे ने खुलकर बात नहीं बताई, लेकिन भारतीय रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि उनके जापानी समकक्ष कई बार भारतीय कंपनियों की दक्षता पर सवाल उठा चुके हैं और उन्हें इस पर संशय है कि वो समय का पालन करेंगे. वहीं वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि भारत बिजनेस करने के लिहाज से 190 देशों में 100वें पायदान पर है. दूसरी ओर, जापान के परिवहन मंत्रालय की रेलवे ब्यूरो के अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग मामलों के निदेशक टोमोयुकी नाकानो बताते हैं कि भारतीय कंपनियों को वर्तमान में हाई-स्पीड रेलवे सिस्टम की तकनीक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.

हालांकि पहले भी कई भारतीय अधिकारी अंदरखाते में यह स्वीकार कर चुके हैं कि भारतीय कंपनियों को बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में अहम जिम्मेदारी नहीं मिलने जा रही. जापान बुलेट ट्रेन के लिए बेहद कम ब्याज पर भारत को 50 साल के लिए भारी कर्ज दे रहा है.

मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ फ्लैगशिप के तहत यह योजना है कि 2022 तक भारत अपने यहां मैन्यफैक्चरिंग के जरिए 2 ट्रिलियन डॉलर तक अर्थव्यवस्था पहुंचा दे और इस दौरान 10 करोड़ नई नौकरियों का सृजन हो सके. जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पिछले साल सितंबर में भारत की पहली बुलेट ट्रेन की नींव रखी थी. यह ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद तक चलेगी. अहमदाबाद मोदी के गृहनगर गुजरात का सबसे बड़ा व्यवसायिक शहर है.

 

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