गंगा में गंदगी फैलाने वालों पर NGT सख्त

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में सीवर और गंदगी डालने वाले होटलों, आश्रमों और धर्मशालाओं पर 5 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाने का आदेश दिया है. इसके लिए NGT ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल एजेंसी बनाया गया है.

प्रदेश में करीब 1573 होटल, धर्मशाला और आश्रम मौजूद हैं. इनमें से कितने प्रतिष्ठान पर्यावरणीय मानकों का पालन कर रहे हैं प्रदूषण बोर्ड को इस बात की जानकारी ही नहीं है. बोर्ड के पास जिलों में अपने प्रतिनिधि तक नहीं हैं. ऐसे में वोर्ड एनजीटी के निर्देशों का पालन कैसे करेगा इस पर सवालिया निशान बने हुए हैं.

बता दें कि साल 2008 में केंद्र सरकार ने धूम्रपान निषेध कानून बनाया था. इसके बाद उत्तराखंड में भी 2016 में ‘उत्तराखंड कूड़ा एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम’ बनाया गया. लेकिन आज तक ऐसा कभी रिपोर्ट नहीं हुआ जिसमें किसी व्यक्ति को सार्वजनिक स्थल पर थूकने या गंदगी फैलाने के लिए दंडित किया गया हो.

ऐसे में एनजीटी के इस फैसले का पालन प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड किस तरह करेगा और गंगा में गंदगी फैलाने वाले कितने पतिष्ठानों पर कार्रवाई होगी यह आने वाला वक्त ही बताएगा.

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