ऋषिकेश: गंगा के तट पर देखने को मिली हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल

उत्तराखंड के ऋषिकेश में मदरसों और गुरुकुल को जोड़ने के लिए कौमी एकता संवाद सम्मेलन का आयोजन किया गया, जहां हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल देखने को मिली. एक तरफ जहां देश में हिंदू-मुस्लिम एकता को चुनावी माहौल में तोड़ने की कोशिश की जाती है, धर्म के नाम पर एक-दूसरे को लड़ाने की राजनीति चलती है, वहीं ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन गंगा घाट पर एक अनूठी मिसाल कायम की गई. यहां मदरसों, मस्जिदों और मुस्लिम संस्थाओं के धर्मगुरु, गुरुकुल और मदरसों को एक ही मंच पर लाकर देश की एकता को बनाए रखने का अनूठा प्रयास किया गया.

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि भारत की एकता के लिए सबसे जरूरी है देश की दो बड़ी आबादियों को एक साथ लाना. साथ ही उन्हें तैयार करना कि वे आने वाले समय पर किसी की भी भड़काऊ बातों में न आए. इसलिए उन्होंने एक अभियान के तहत गुरुकुल-मदरसा संवाद सम्मेलन के जरिए सभी हिंदू-मुस्लिम धर्मगुरुओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया. ताकि इससे गंगा जमुनी तहजीब बची रहे और कौमी एकता मजबूत हो.

परमार्थ निकेतन के गंगा तट पर देश के अलग-अलग होने से आए मौलाना इमाम एवं मुस्लिम संगठन के धर्मगुरु जो देश की अखंडता एकता बनाए रखने के लिए एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं. गुरुकुल मदरसा संवाद सम्मेलन के जरिए आने वाली पीढ़ी को आपसी सौहार्द की एक ऐसी तामील देकर नई शुरुआत की जा रही है, जिससे आपसी सौहार्द बढ़ सके और जो दूरियां हिंदू और मुस्लिम समाज में आ गई है उसको कम किया जा सके.

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