यूपी विधानभवन में सावरकर की तस्वीर को लेकर गर्मायी सियासत
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधान भवन के मुख्य गेट पर देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ लगाई गई विनायक दामोदार सावरकर की तस्वीर को लेकर सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह द्वारा उत्तर विधान परिषद सभापति को पत्र लिखकर इसका विरोध जताए जाने के बाद मामले में सभापति ने संज्ञान ले लिया है. सभापति राम नरेश यादव ने प्रमुख सचिव से आख्या मांग ली है. इसके तहत एक सप्ताह के भीतर जवाब देना होगा कि विधान परिषद की गैलरी में सावरकर की फोटो कैसे लगी?
सभापति राम नरेश यादव ने कहा कि एमएलसी दीपक सिंह की चिट्ठी से फोटो के बारे में मालूम पड़ा. चिट्ठी मिलने के बाद प्रमुख सचिव से आख्या मांगी गई है. दरअसल उत्तर प्रदेश के विधानभवन के मुख्य गेट पर देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ लगाई गई सावरकर की तस्वीर को लेकर कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति को पत्र लिखा है. उन्होंने विधान भवन के मुख्य द्वार पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बीच लगाई गई सावरकर की तस्वीर को न सिर्फ देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान बताया है, बल्कि विधानभवन के मुख्य गेट पर लगी इस तस्वीर को हटाकर भाजपा कार्यालय में स्थापित किये जाने की मांग की है.
कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने विधान परिषद के सभापति के नाम भेजे गए इस पत्र में लिखा है कि आपकी अध्यक्षता में यूपी सरकार ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के मरम्मत एवं सौन्दर्यीकरण कराया है. उसके लिए आभार प्रकट करता हूं. परंतु अत्यंत दुख के साथ निवेदन करता हूं कि तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनाननियों/जांबाजों एवं देश के लिए हसंते-हसंते फांसी के फंदे को चूम लेने वाले महापुरूषों की तस्वीरों के बीच सावरकर की तस्वीर लगाया जाना महान स्वंतत्रता सेनानियों का अपमान है. सावरकर ने जेल जाने के कुछ महीने बाद ही ब्रिटिश सरकार को पत्र लिखा कि ब्रिटिश सरकार मुझे माफ कर दें तो मैं भारत के स्वतंत्रता संग्राम से खुद को अलग कर लूंगा और ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी निभाऊंगा. वह जेल से निकल कर अंग्रेजों से मिलकर भारतवासियों के खिलाफ अभियान चलाते रहे. ऐसे में देश की आजादी के लिए वफादारी से जान लगाकर लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ सावरकर की तस्वीर लगाना आपत्तिजनक है.
कांग्रेस MLC दीपक सिंह ने अपने पत्र में आगे लिखते है कि सावरकर ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के खिलाफ भी अंग्रेजों से मिलकर युद्ध किया. अंग्रेजों की बांटो और राज करो की नीति में हिंदू-मुस्लिम की लड़ाई कराकर अंग्रेजों की मदद की. जिन्ना के साथ सावरकर ने भी अपने अहमदाबाद के अधिवेशन में दो राष्ट्र की बात कही. ऐसे में जिन्होंने जिन्ना की भाषा बोली हो, सुभाष चन्द्र बोस का युद्ध लड़ा हो, अंग्रेजों भारत छोड़ो अभियान का विरोध किया हो, जो अग्रंजों से वफादारी करने के नाम पर माफी मांग कर जेल से रिहा हुए और आजादी के विरूद्ध काम किया. ऐसे राष्ट्रवादी से समझदार देशभक्त कैसे सहमत हो सकता है? इसलिए विधानभवन के मुख्य गेट पर लगी सावरकर की तस्वीर को हटाकर भाजपा कार्यालय में स्थापित कराने की कृपा करें, जिससे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और यूपी के करोड़ों वासियों की भावनाओं को आहत होने से बचाया जा सके.