UP: जबरिया धर्मांतरण रोकने वाले बिल के मसौदे को योगी कैबिनेट की मंजूरी

लखनऊ: यूपी में जबरिया धर्मांतरण रोकने वाले बिल के मसौदे को योगी सरकार की मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी गई, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को विधेयक के रूप में पास कराने के लिए अब विधानमंडल में पेश किया जाएगा. बिल में किए गए प्रावधानों के मुताबिक जबरन धर्मांतरण कराने वाले को अलग-अलग श्रेणी में एक साल से 10 साल तक की सजा हो सकती हैं. साथ ही धर्मांतरण कराने वाले को पांच लाख रुपये तक जुर्माना पीड़ित पक्ष को देना होगा. बता दें पिछले साल सरकार ने अध्यादेश के जरिए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक को अध्यादेश लाकर लागू किया था. चूंकि कोरोना संकट की वजह से विधानमंडल सत्र स्थगित कर दिया गया है, इसलिए अध्यादेश को सदन की मंजूरी नहीं मिल पाई थी. किसी भी अध्यादेश को छह माह में विधानमंडल की मंजूरी दिलाना जरूरी है, इसलिए इसे विधानसभा व विधान परिषद से विधेयक के रूप में पास कराया जाएगा. इसके बाद राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा.

विधेयक में हैं ये प्रावधान
1. विधेयक के मसौदे के मुताबिक इसमें कोर्ट को शक्ति दी गई है कि वह पीड़ित को क्षतिपूर्ति के तहत पांच लाख रुपये तक का हर्जाना देने का भी आदेश कर सकता है. एक से अधिक बार धर्मांतरण से जुड़ा अपराध करने पर दोगुनी सजा मिलेगी.

3. जो अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, उसे साठ दिन पहले डीएम या उनके द्वारा अधिकत किये गए एडीएम के यहां आवेदन करना पड़ेगा. अगर कोई दबाव बनाकर, लालच देकर या अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके जिला प्रशासन को गलत सूचना देकर धर्म परिवर्तन करवा रहा होगा तो यह अवैध और शून्य हो जाएगा.

धर्म परिवर्तन के लिए परामर्श देने वाले, मदद करने वाले और अपराध के लिए दुष्प्रेरित करने वालों को भी इसमें आरोपित बनाया जाएगा.

बता दें इस अध्यादेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. सभी याचिकाओं में इसे अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गयी है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह अध्यादेश एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने (Target) करने के मकसद से लाया गया है और यह संविधान के खिलाफ है.

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