अपनी परंपरागत सीट चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ना तीरथ सिंह रावत के लिए क्यों है मुश्किल?
देहरादून ब्यूरो। सांसद तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब वह किस सीट से चुनाव लड़ेंगे. इसको लेकर अटकलों का दौर तेज हो गया है. नियमानुसार तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य नहीं हैं, लिहाजा उन्हें 6 महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी और इसके लिए उन्हें किसी एक सीट से चुनाव जीत कर आना होगा. तीरथ सिंह रावत की चौबट्टाखाल विधानसभा सीट परंपरागत सीट रही है, लेकिन मौजूदा समय में चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज विधायक हैं. 2017 में इसी सीट पर तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर सतपाल महाराज को दे दिया गया था.
बुधवार को जब बतौर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शपथ ली, तो चंद घंटों के भीतर ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे के सतपाल महाराज चौबट्टाखाल की विधानसभा सीट छोड़ेंगे और तीरथ सिंह रावत की जगह गढ़वाल संसदीय सीट से चुनाव लड़कर केंद्र में जाएंगे, लेकिन सतपाल महाराज ने तत्काल बाद इन कयासों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह न तो सांसद का चुनाव लड़ना चाहते हैं और ना चौबट्टाखाल विधानसभा सीट किसी के लिए छोड़ना चाहते हैं.
वहीं गुरुवार को घटनाक्रम चेंज हुआ और बद्रीनाथ से विधायक महेंद्र भट ने सीएम के आवास पर पहुंचकर बद्रीनाथ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की पेशकश कर डाली. भट्ट का कहना है कि तीरथ सिंह रावत का ये संसदीय क्षेत्र भी है. उन्होंने लंबे समय तक चमोली में संगठन के कामकाज भी देखे हैं. लिहाजा तीरथ सिंह रावत बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर एक-एक कार्यकर्ता को अच्छे से जानते हैं. महेंद्र भट्ट का कहना है कि वह सीट छोड़ने के लिए तैयार है उन्हें सिर्फ क्षेत्र का विकास चाहिए और यदि तीरथ सिंह रावत बद्रीनाथ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं बद्रीनाथ क्षेत्र का और भी विकास होगा. बहरहाल, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत किस सीट से चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने अभी पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन रावत का कहना है कि पार्टी संगठन तय करेगा कि उन्हें किस सीट से चुनाव लड़ना है.