महाकुंभ 2021: भक्ति के रस में डूबे नागा बाबाओं के अजब-गजब श्रृंगार

हरिद्वार। जब तार भक्ति का जुड़ता है तो संसार का मोह छूट जाता है। ऐसे ही भक्ति रस में डूबने वालों का संगम तीर्थनगरी हरिद्वार में हो रहा है। यहां आने वाला हर बाबा और नागा संत अलग ही है। कोई हठ से भगवान को प्रसन्न करने में लगा है तो कोई भक्ति से खुश करने में। बाबाओं का कहना है कि सनातन धर्म का झंडा हमेशा बुलंद रहे। तीर्थनगरी हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में हर तरफ आस्था ही आस्था नजर रही है। सड़कों से लेकर अखाड़ों की छावनियों तक में बाबाओं के दर्शन हो रहे हैं। साधु-संत अपने-अपने तरीके से जप व तप में जुटे हुए हैं। यहां आने वाले नागा साधु अपने पहनावे के चलते लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहे हैं। तुलसी चौक के किनारे गंगाघाट पर बैठे अजय गिरि उर्फ रुद्राक्ष बाबा को याद ही नहीं वह कब से भक्ति की राह में चल दिए हैं। बस इतना याद है कि भगवान को पाना है और फिर संसार को बचाना है।

उन्होंने बताया कि गुजरात से वह तीर्थनगरी भगवान को प्रसन्न करने के लिए आए हैं। भगवान शंकर की जटा से गंगा निकली है और इसलिए वह गंगा के पास आए हैं। गंगा मां से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि वह शिव को प्रसन्न करने में सफल होने का आर्शीवाद दें। अजय गिरी ने 11 हजार रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं। जिनका वजन 20 किलो के करीब है। वहीं घाट पर जप व तप में ध्यानमग्न नागा बाबा दिंगबर राघवगिरी ने बताया अपने सिर पर साढ़े तीन किलो रूद्राक्ष धारण किए गए है। रुद्राक्ष को शिवलिंग का रूप दिया गया है। जिसमें शिवलिंग के साथ ही भगवान नाग भी बना हुआ है। उनका मानना है कि रुद्राक्ष भक्त और भोले के बीच बड़ी कड़ी है। इस कड़ी से वह शिव को प्रसन्न कर सनातन धर्म की रक्षा का आह्वान करेंगे। इसके अलावा निर्वाणी अखाड़े के बैरागी संत दयाल दास ने भी अपने गले मे मोतियों की 103 मालाएं पहनी हुई है। इन मालाओं का वजन भी लगभग सात किलो है।

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