क्या है ‘गहरे समुद्र मिशन’ जिसे मोदी सरकार ने दी है मंजूरी ?

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए मंत्रिमंडल की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए है। इन्हीं फैसलों के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि की बैठक में कई बड़े निर्णय हुए है जो भारत को नए युग में ले जाने वाला है। जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के डीप ओशियन मिशन यानी कि गहरे समुद्र मिशन को प्रदान कर दी है। डीप ओशियन मिशन से समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता की हुई आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि गहरे समुद्र के तले एक अलग ही दुनिया है। पृथ्वी का 70 प्रतिशत हिस्सा समुद्र है। उसके बारे में अभी बहुत अध्ययन नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि सीसीईए ने ‘‘गहरे समुद्र संबंधी मिशन’’ को मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे एक तरफ ब्लू इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी साथ ही समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी। जावड़ेकर ने बताया कि समुद्र में 6000 मीटर नीचे कई प्रकार के खनिज हैं। इन खनिजों के बारे में अध्ययन नहीं हुआ है। इस मिशन के तहत खनिजों के बारे में अध्ययन एवं सर्वेक्षण का काम किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इसके अलावा जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के जलस्तर के बढ़ने सहित गहरे समुद्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी अध्ययन किया जायेगा।

मंत्री ने बताया कि गहरे समुद्र संबंधी मिशन के तहत जैव विविधता के बारे में भी अध्ययन किा जायेगा। उन्होंने बताया कि इसके तहत समुद्रीय जीव विज्ञान के बारे में जानकारी जुटाने के लिये उन्नत समुद्री स्टेशन (एडवांस मरीन स्टेशन) की स्थापना की जायेगी। इसके अलावा थर्मल एनर्जी का अध्ययन किया जायेगा। जावड़ेकर ने बताया कि इस बारे में अभी दुनिया के पांच देशों अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, चीन के पास ही प्रौद्योगिकी। ऐसी प्रौद्योगिकी मुक्त रूप से उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस मिशन से खुद प्रौद्योगिकी के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *