उत्तराखंड के कांग्रेस के दिग्गजों हरीश रावत, प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल को नई भूमिकाएं देते हुए कांग्रेस ने कौन सा फॉर्मूला लगाया और क्यों?

देहरादून: उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनावों की रणनीति के तौर पर कांग्रेस ने अपनी नई टीम तैयार की है, जिसमें अधिकांश चेहरे तो पुराने ही हैं लेकिन नई भूमिकाओं में दिखेंगे. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद से ही उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष की तलाश जारी थी. इस नेता को खोजने में काफी वक्त तो लगा लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इतने समय में पूरी तैयारी के साथ एक बार में ही मैदान में उतरने का नज़रिया साफ किया. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष बनाए गए प्रीतम सिंह और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए गणेश गोदियाल को भूमिकाएं सौंपने के पीछे कई तरह के समीकरण साधने और फॉर्मूले लगाने की कवायद हुई है.

वास्तव में, उत्तराखंड में प्रीतम सिंह पार्टी प्रदेश अध्यक्ष थे और वह नेता प्रतिपक्ष पद पर इस शर्त के साथ आना चाहते थे कि प्रदेश अध्यक्ष उनके खेमे का हो. वहीं, महत्वपूर्ण भूमिकाएं तय करने के पीछे जातीय समीकरण भी खासे अहम थे. सभी को खुश रखने का एक चैलेंज आलाकमान के सामने था, तो 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में ताकत के साथ उतरने की चुनौती भी. इन तमाम बातों के मद्देनज़र अब कांग्रेस की उत्तराखंड टीम जो बनी है, वह बहुत कुछ साफ कर रही है.

1. पार्टी के सीनियर नेता हरीश रावत को चुनाव प्रचार की कमान दी गई है. कांग्रेस ने जो कैंपेन कमेटी, समन्वय कमेटी, मैनिफेस्टो कमेटी और कोर कमेटी बनाई. इनमें राज्य सभा सदस्य प्रदीप टम्टा के साथ ही दिनेश अग्रवाल भी प्रमुख भूमिका में होंगे.
2. कोर कमेटी के अध्यक्ष कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव होंगे जबकि पूर्व उत्तराखंड अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समन्वय की ज़िम्मेदारी संभालेंगे. नवप्रभात को मैनिफेस्टो कमेटी का चेयरपर्सन बनाया गया है, तो पूर्व सांसद महेंद्र पाल को वाइस चेयरपर्सन.

3. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह को आउटरीच कमेटी का दायित्व मिला है जबकि ट्रेनिंग प्रोग्रमा कमेटी के प्रमुख विजय सारस्वत बनाए गए हैं. प्रदेश कांग्रेस के नए कोषाध्यक्ष अजयेंद्र शर्मा बनाए गए हैं.

4. प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महत्वपूर्ण बदलाव यह भी है कि अब जीत राम, भुवन कापरी, तिलकराज बेहर और रंजीत रावत वर्किंग प्रेसिडेंट के तौर पर दिखेंगे.

क्या है इस टीम का पूरा समीकरण?
कांग्रेस आलाकमान ने चुनावों के मद्देनज़र पंजाब वाला फॉर्मूला लगाते हुए अपेक्षाकृत छोटे राज्य उत्तराखंड में भी चार वर्किंग प्रेसिडेंट दिए. वास्तव में इस पूरे बदलाव का गणित जातीय समीकरणों को साधने से लेकर हर खेमे और हर दिग्गज को संतुष्ट करना ही समझा जा रहा है. दिग्गजों के विश्वसनीय और करीबी नामों को अहम भूमिकाओं में लाकर कांग्रेस ने उत्तराखंड के नेताओं को क्षेत्र के हिसाब से भी प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है.

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