यूपी चुनाव-2022: ओबीसी आरक्षण के मास्टर स्ट्रोक से बीजेपी को कितना मिलेगा फायदा?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, सियासी पार्टियां अभी से जोड़तोड़ की भूमिका में नजर आ रही हैं. उधर, बीजेपी ने मेडिकल कॉलेज में ओबीसी आरक्षण जिन्न छोड़कर विपक्ष को चित कर दिया है. दरअसल उत्तर प्रदेश में ओबीसी एक बड़ा वोट वर्ग है. वहीं बीजेपी की इस निशाने से क्या समाजवादी पार्टी के मुहिम को झटका लगेगा. बीजेपी की इस रणनीति पर कांग्रेस और बसपा दूसरी तरफ राजभर भी ओबीसी के मुद्दे पर अग्रेसिव दिख रहे हैं. दरअसल, केंद्र सरकार ने नीट की परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश में चुनावी बयार चल पड़ी ऐसे में मोदी सरकार ने 10 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को तो दूसरी तरफ 27 प्रतिशत पिछड़ों को देकर एक तीर से अगड़ा पिछड़ा दोनों को साधने की कोशिश की है. यही कारण की पिछड़ों की राजनीति करने मे आगे रही पार्टियां तुरंत सामने आईं, वहीं कांग्रेस जैसा राष्ट्रीय दल अभी भी अधूरा सामाजिक न्याय की बात कर यहा है. वैसे तो यह फैसला देश भर में लागू होगा और प्रभाव भी डालेगा लेकिन विशेष तौर से उत्तर प्रदेश के लिए इसमें कई राजनीतिक निहितार्थ छिपे हैं.

मुस्लिम से लेकर छोटी- छोटी जातियों पर फोकस
सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी की आबादी में पिछड़ी जातियों की संख्या लगभग 54 प्रतिशत है. वैसे इसमें तेली, जुलाहा जैसी मुस्लिम आबादी भी शामिल है, लेकिन तब भी बड़ी संख्या हिंदू पिछड़ी जातियों की ही है. इनमें कुर्मी, लोध और मौर्य जैसी जातियों का रुझान जनसंघ काल से ही भाजपा की तरफ रहा है. कहा जाता है कि पिछले यूपी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में यादवों का भी रुझान भाजपा की तरफ दिखा था. यही कारण है कि समाजवादी पार्टी आरक्षण के मुद्दे पर सक्रिय थी. बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला कहते हैं कि अखिलेश यादव इस तरह अपना बचपना दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब कोई बच्चा चलना शुरू करता है और चलते-चलते गिर जाता है तो घर के बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि देखो तुम्हारे गिरने से फर्श टूट गयी और बच्चा खुश हो जाता है. ठीक यही हालात अखिलेश यादव के हैं वे मोदी सरकार के सामाजिक न्याय को अपने संघर्षों का नतीजा बता रहे हैं. दूसरी तरफ अगड़ो पिछड़ों मे फंसी कांग्रेस इसे अधूरा सामाजिक न्याय बता रही है.

पिछड़ी जातियों के युवा वर्ग पर नजर
कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि जो लगातार सरकार मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में फीस वृद्धि कर रही है गरीब बच्चे फीस कहां से लाएंगे, सरकार इस पर तो बात ही नहीं कर रही है इसलिए ये अधूरा न्याय है. असल बात ये है कि ये सारी कवायद पिछड़ी जातियों के युवा वर्ग के दिल में जहां भाजपा के हाथों ही अपने हित सुरक्षित होने का तो गरीब सवर्णों के दिल और दिमाग में भी भाजपा के एजेंडे में उनके हितों के भी संरक्षण की चिंता का संदेश देने की कोशिश, जिसका चुनाव पर सीधा असर पड़ेगा और बीजेपी भरपूर फायदा उठाएगी.

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