दिसंबर तक नहीं बढ़े कोरोना मामले तो इसका मतलब आ चुकी हार्ड इम्युनिटी?
मुंबई: कोरोना महामारी के कम होते मामलों के बीच देश के विभिन्न राज्यों में प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है. देश के सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में बीते 26 अक्टूबर को 12 मौतें ही दर्ज की गईं. कोरोना से होने वाली मौतों का ये अप्रैल 2020 के बाद से राज्य में सबसे छोटा आंकड़ा है. महाराष्ट्र में कोविड डेथ कमेटी के इंचार्ज डॉ. अविनाश सूपे का कहना है कि अगर प्रतिबंध हटने के बाद दिसंबर तक महामारी के मामलों में तेजी नहीं आती तो इसका मतलब कोरोना स्थानिक यानी एंडेमिक में तब्दील हो चुका है.
इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में डॉ. सूपे ने तीसरी लहर की आशंका पर कहा है कि राज्य में दूसरी लहर के बाद लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद मामलों में कुछ वृद्धि दर्ज की गई थी. लेकिन अब अब ऐसी स्थिति नहीं है. हालांकि कुछ जिलों में मामले में बढ़े हैं. ये जिले हैं सतारा, पुणे और औरंगाबाद. लेकिन ये अभी पूरे राज्य के लिए परेशानी वाली बात नहीं है. सूपे का कहना है कि अगर प्रतिबंधों में ढील के बावजूद दिसंबर तक ऐसी ही स्थिति बनी रही तो हम कह सकते हैं कि कोरोना स्थानिक यानी एंडेमिक की स्थिति में आ चुका है. इसका मतलब है कि हमने हर्ड इम्युनिटी डेवलप कर ली है. लेकिन अभी जिनोम सिक्वेंसिंग पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत है. वायरस पर गहन निगाह बनाए रखनी होगी. किसी भी नए वेरिएंट पर नजर रखनी होगी. हालांकि राज्य में ऐसा कोई नया वेरिएंट नहीं दिखा है. सूपे का कहना है कि वायरस हमारे बीच से पूर्ण रूप से नहीं जाएगा. संभव है कि मौसमी संक्रमण का रूप ले ले यानी स्वाइन फ्लू की तरह. इसलिए अब हमें इसके साथ रहना सीख लेना चाहिए.
अगस्त महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने भी कहा था कि भारत में कोरोना एक तरह से महामारी के स्थानिकता के चरण में प्रवेश कर रही है. डॉ. सौम्या ने बताया था कि स्थानिक अवस्था तब होती है जब कोई आबादी किसी भी वायरस के साथ ही रहना सीख जाती है.