दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे : 6 लेन रोड के लिए 2095 करोड़ मंज़ूर

देहरादून/नई दिल्ली: ​सहारनपुर-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर से होकर बनने वाले दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे का काम अब जल्द ही अमल में आएगा क्योंकि केंद्र सरकार ने इसके ​लिए 2095 करोड़ रुपये की राशि मंज़ूर कर दी है. 6 लेन एक्सेस कंट्रोल्ड इस हाईवे को दिल्ली से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमाओं में बनना है, जो भारतमाला परियोजना का हिस्सा है. केंद्र ने इस एक्सप्रेस वे से हरिद्वार को कनेक्ट करने के लिए 6 लेन रोड के निर्माण हेतु राशि स्वीकृत की. यह एक्सप्रेस वे कई मायनों में खास होगा और खासकर उत्तराखंड आने या जाने वाले यात्रियों के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा होगा क्योंकि दिल्ली से देहरादून की दूरी इससे करीब 4 घंटे तक कम हो जाएगी.

कैसे होने वाला है हर फेज़ में निर्माण?
एक्सप्रेस वे को चार फेज में डेवलप किया जा रहा है. तीसरे फेज में सहारनपुर बाईपास से गणेशपुर के बीच 40 किमी बनाया जाएगा. चौथे फेज़ में गणेशपुर से आगे देहरादून तक निर्माण होगा. इसकी लम्बाई करीब 19 किलोमीटर होगी. गणेशपुर से देहरादून के बीच एक्सप्रेस वे का ज्यादातर हिस्सा राजाजी नेशनल पार्क की सीमा से होकर गुज़रेगा. इसको देखते हुए यहां पर करीब पांच किमी लंबा फोर लेन एलिवेटेड फ्लाईओवर बनाया जाएगा. मौजूदा समय में यहां सड़क की चौड़ाई बेहद कम तो है ही, ढलान और तीव्र मोड़ होने के कारण जाम और दुर्घटना का खतरा बना रहता है. हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल के अनुसार इस एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जाएगा. इस दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे के बारे में कुछ बेहद खास फीचर आपको जानने चाहिए, जो सीधे यात्रा के साथ जुड़े हैं.

उत्तराखंड में राजाजी पार्क और देहरादून वन प्रभाग से लगे करीब चार किलोमीटर हिस्से में अभी पेंच फंसा हुआ है. यूपी की सीमा डाटकाली मंदिर से उत्तराखंड में आशारोड़ी तक चार किलोमीटर का हिस्सा राजाजी पार्क और देहरादून वन प्रभाग के बीच से गुज़रता है. इस चार किमी हिस्से में ढाई हजार पेड़ काटे जाने हैं, जिनमें 1600 साल पुराने पेड़ भी शामिल हैं. इस पर पर्यावरण प्रेमियों को आपत्ति है और यही मामला हाईकोर्ट में चल रहा है. इतने बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाने पर एनजीटी भी ऐतराज़ जता चुका है. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है. देहरादून वन प्रभाग के डीएफओ राजीव कुमार धीमान का कहना है कि कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद ही पेड़ कटाई को अनुमति दी जा सकेगी.

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