ओमिक्रॉन को लेकर एम्‍स के पूर्व निदेशक ने कही ये बड़ी बात, बताया कैसे मिल सकती है राहत

नई दिल्‍ली: कोरोना के घटते मामलों के बीच में अचानक से कोविड के नए वेरिएंट की दस्‍तक से हलचल पैदा हो गई है. दक्षिण अफ्रीका से लेकर विश्‍व के एक दर्जन से ज्‍यादा देशों में इस नए वेरिएंट के मरीज मिलने के बाद अब भारत में भी इससे संक्रमित दो मरीजों की पुष्टि हो चुकी है वहीं कई अभी संदिग्‍ध हैं. इतना ही नहीं विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन  की ओर से इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न करार दिए जाने के बाद इसे डेल्‍टा से भी ज्‍यादा संक्रामक माना जा रहा है. वहीं इसके म्‍यूटेशन को लेकर भी स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान दिल्‍ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र ने न्‍यूज18 हिंदी से बातचीत में कहा कि ओमिक्रॉन का आना कोई चौंकने वाली बात नहीं है, ऐसा होना संभव था. डेल्‍टा और डेल्‍टा प्‍लस वेरिएंट भी इसी तरह आए, उससे पहले अल्‍फा, बीटा आदि कितने वेरिएंट आकर लोगों को संक्रमित कर चुके हैं. कोरोना में पहले से ही लगातार म्‍यूटेशन की बात कही जा रही है. वायरस के हजारों म्‍यूटेशन हो सकते हैं लेकिन जिससे लोगों में संक्रमण बढ़ता है वह चिंता पैदा करता है. अभी तक जो जानकारी सामने आ रही है उससे यही अनुमान लगाया जा रहा है कि ओमिक्रॉन डेल्‍टा से भी ज्‍यादा संक्रामक है. डॉ. मिश्र कहते हैं कि जहां तक ओमिक्रॉन को लेकर कहा जा रहा है कि यह दक्षिण अफ्रीका में पनपा है और वहां से ही अन्‍य देशों में फैला है तो इसका कोई पुख्‍ता सबूत नहीं है. जहां तक वायरस की बात है तो अलग-अलग देशों में भी एक जैसा म्‍यूटेशन हो जाए और एक जैसा वेरिएंट सामने आ जाए यह संभव है. ऐसे में अगर लोगों को लगता है कि सिर्फ दक्षिण अफ्रीका से आ रहे लोगों के द्वारा ही इसे फैलाया जा सकता है तो यह ठीक नहीं होगा. हो सकता है कि ओमिक्रॉन किसी अन्‍य देश में भी मौजूद रहा हो या भारत में मिल रहे मरीजों में भी वायरस का म्‍यूटेशन हुआ हो और यह वेरिएंट कुछ मरीजों में संक्रमण में सहयोगी रहा हो. यह भी हो सकता है कि यह वेरिएंट कई महीने पहले से मौजूद रहा हो लेकिन और जीनोम सीक्‍वेंसिंग में अभी पकड़ में आया हो. जहां तक लक्षणों की बात है तो वायरल संक्रमण के सभी लक्षण अलग-अलग तरह से कोविड के मरीजों में मिलते रहे हैं.

ओमिक्रॉन के और भी मरीज आ सकते हैं सामने
वे कहते हैं कि विदेशों से आ रहे लोगों के चलते वायरस के नए वेरिएंट के फैलने को लेकर जो चिंता है वह सही है लेकिन भारत में यह मरीजों में पहले से मौजूद हो इसकी संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. जैसा कि कर्नाटक के एक स्‍थानीय मरीज के मामले में देखने को मिला भी है. ऐसे में जरूरी है यहां एहतियात बरतने पर ज्‍यादा जोर दिया जाए. सरकारें अपना काम कर रही हैं लेकिन लोग अगर ढिलाई बरत रहे हैं तो वह नुकसानदेह हो सकती है. भारत में अभी भी कोरोना के मामले पूरी तरह खत्‍म नहीं हुए हैं. अभी भी यहां 8-9 हजार मामले रोजाना आ रहे हैं, अगर इन सभी की जीनोम सीक्‍वेंसिंग की जाए तो संभव है कि ओमिक्रॉन के और भी मरीज सामने आ जाएं क्‍योंकि वायरस अपना म्‍यूटेशन कर रहा है. वह अपने लिए जमीन तलाश रहा है.

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