कर्नाटक हिजाब विवाद: सरकार ने हाईकोर्ट में कहा- प्रतिबंध केवल कक्षाओं के लिए है, परिसर में नहीं

कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध केवल कक्षाओं में और पढ़ाई के समय के लिए है। शिक्षण संस्थानों के परिसर में हिजाब पर कोई प्रतिबंध नहीं है। राज्य सरकार ने यह भी बताया कि संस्थागत अनुशासन के अधीन उचित प्रतिबंधों के साथ भारत में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उडुपी की मुस्लिम छात्राओं की ओर से दाखिल याचिकाओं पर जवाब देते हुए महाधिवक्ता ने पीठ को बताया, ‘हिजाब पहनने का अधिकार अनुच्छेद 19(ए) के तहत है न कि अनुच्छेद 25 के। यदि कोई हिजाब पहनना चाहता है, तो संस्थागत अनुशासन के अधीन कोई प्रतिबंध नहीं है। अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत दावा जिन अधिकारों का दावा किया गया है वह अनुच्छेद 19 (2) से संबंधित हैं, जहां सरकार संस्थागत प्रतिबंध के अधीन उचित प्रतिबंध लगाती है।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ से कहा कि हमारे पास राज्य के शिक्षण संस्थानों में यूनिफॉर्म के लिए एक कानून है। उन्होंने कहा कि वर्गीकरण और पंजीकरण नियमों में नियम 11 सिर पर बांधे जाने वाले एक विशेष कपड़े पर कारण योग्य प्रतिबंध लगाता है। परिसर में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध नहीं है। यह नियम केवल कक्षा में और पढ़ाई के समय के लिए है। सरकार हिजाब को धार्मिक परंपराओं से अलग बता चुकी है। महाधिवक्ता ने कहा, यदि कोई कोई ऐसी घोषणा चाहता है कि किसी एक धर्म की सभी महिलाएं एक विशेष परिधान ही पहनें तो क्या यह महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन नहीं होगा? उन्होंने कहा कि मानवीय गरिमा में स्वतंत्रता भी शामिल है, जिसमें पहनने या न पहनने का विकल्प है। याचिकाकर्ता का दावा मजबूरी बनाने का है, जो संविधान के लोकाचार के खिलाफ है। इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है, इसे संबंधित महिलाओं की पसंद पर छोड़ देना चाहिए। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायाधीश जेएम काजी और कृष्णा एम दीक्षित की पूर्ण पीठ कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

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