West Bengal: धनखड़ के बाद राज्य में कोई राज्यपाल नहीं चाहते ममता के मंत्री?

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच मतभेद किसी से छिपे नहीं हैं। कई मोर्चों पर दोनों खुलकर आमने-सामने आ चुके हैं। यहां तक कि विश्वविद्यालयों के चांसलर पद को लेकर दोनों में विवाद इतना बढ़ा कि ममता सरकार की ओर से राज्यपाल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव तक लाया गया। अब जब जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो चुके हैं और मणिपुर के राज्यपाल एल गणेशन को पश्चिम बंगाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। इस बीच ममता सरकार के मंत्री शोभनदेव चटर्जी का एक बयान सामने आया है, जिसमें वह इस पद को ही खत्म करना चाहते हैं।

मुख्य न्यायाधीश को सौंपी जाएं जिम्मेदारियां
शोभनदेव चटर्जी ने कहा, मुझे लगता है कि राज्य के मुख्य न्यायाधीश को राज्यपाल की जिम्मेदारियों को संभालना चाहिए। चीफ जस्टिस कानून के उन पहलुओं को देख सकते हैं, जिनका राज्यपाल ध्यान रखते हैं। उन्होंने आगे कहा, मैं इस तरह का सुझाव पहले भी दे चुका हूं। कई सरकारी आयोगों में इस सुझाव को शामिल भी किया गया है। उन्होंने कहा, यह प्रस्ताव सिर्फ पश्चिम बंगाल तक ही सीमित नहीं है। देश में बहुदलीय प्रणाली है। कई बार एक खास पार्टी केंद्र में होती है और अन्य दल राज्य की सत्ता संभालते हैं। दोनों के बीच मतभेद विकास कार्य को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा, न्यायाधीश गैर-राजनीतिक व्यक्ति होता है और वह कानून को बेहतर जानता है। ऐसे में उन्हें राज्यपाल की जिम्मेदारियां संभालनी चाहिए।

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