हिजाब पर कोट ने कहा, किसी धार्मिक पहलू को नहीं छुआ सिर्फ कक्षा में हिजाब पर प्रतिबंध

Hijab Row : सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार ने दलील दी है कि हमने किसी धार्मिक पहलू को नहीं छुआ है, सिर्फ कक्षा के भीतर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया है। कक्षा के बाहर यहां तक कि संस्थान के परिसर में भी हिजाब पहनने पर कोई रोकटोक नहीं है। शीर्ष कोर्ट हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ से कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग के नवदगी ने कहा, सरकार सिर्फ यह कह रही है कि शिक्षण संस्थान जो कि पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष हैं, वे विद्यार्थियों का लिबास या यूनिफॉर्म तय कर सकते हैं। नवदगी ने तर्क दिया, संविधान के अनुच्छेद- 25 के तहत हर धार्मिक प्रथा संरक्षित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा, तीन तलाक व गोहत्या इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथाएं नहीं हैं। अनुच्छेद- 25 के तहत संरक्षण का दावा करने के लिए याचिकाकर्ताओं को दिखाना होगा कि हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा है। उन्होंने कहा, यदि यह माना जाता है कि हिजाब पहनने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है, तो कोर्ट के समक्ष जो कुछ भी है, वह स्कूल में यूनिफॉर्म के प्रतिबंध की तर्कसंगतता है। राज्य सरकार सिर्फ यूनिफॉर्म को विनियमित कर छात्रों में अनुशासन पैदा करना चाहती है। अनुच्छेद-19 में अधिकारों पर कोई प्रतिबंधात्मक प्रभाव ‘आकस्मिक’ है और यह कानून को अमान्य करने का आधार नहीं हो सकता है। इस मामले में सुनवाई बृहस्पतिवार को भी होगी।

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