MP News: लोकायुक्त ने सीनियर आईएएस अफसर अनिरुद्ध मुखर्जी के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की
मध्यप्रदेश लोकायुक्त संगठन ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनिरुद्ध मुखर्जी के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है। इसके लिए लोकायुक्त ने राज्यपाल मंगुभाई छगनभाई पटेल को पत्र भी लिखा है। मामला उज्जैन के दताना-मताना एयरस्ट्रिप के मेंटेनेंस में हुए घोटाले का है। मुखर्जी पर आरोप है कि उन्होंने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और इस मामले में आरोपी कवींद्र कियावत की याचिका पर हाईकोर्ट में जवाब देते समय राज्य सरकार के हितों की अनदेखी की। इससे जांच एजेंसी का काम प्रभावित हुआ।
मुखर्जी लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग में प्रमुख सचिव हैं और लोकायुक्त ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने हाईकोर्ट में जवाब देते समय राज्य सरकार के हितों की न केवल अनदेखी की, बल्कि उनके जवाब से सरकार की स्थिति ही कमजोर हुई है। लोकायुक्त संगठन से जुड़े एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “याचिकाकर्ता (कवींद्र कियावत) को लोकायुक्त की विशेष स्थापना पुलिस (एसपीई) ने एफआईआर में आरोपी बनाया है। हाईकोर्ट में सरकार के हितों की अनदेखी करने वाला जवाब देना पद के दुरुपयोग का मामला है। इस वजह से लोकायुक्त ने लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त अधिनियम की धारा 12 के तहत अफसर पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है।” लोकायुक्त या उप-लोकायुक्त की सिफारिशों पर कार्रवाई से संगठन संतुष्ट होता है तो यह मामला बंद कर दिया जाएगा। यदि राज्यपाल को लगता है कि इस मामले में अलग से जांच कर स्पेशल रिपोर्ट दी जानी चाहिए तो विस्तृत प्रतिवेदन जल्द ही प्रस्तुत किया जाएगा।
हाईकोर्ट में क्यों गया था मामला
अक्टूबर 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रिटायर्ड आईएएस अफसर और इस मामले में आरोपी कवींद्र कियावत की याचिका खारिज कर दी थी। कियावत ने उनके खिलाफ उज्जैन के एयरस्ट्रिप के मेंटेनेंस घोटाले के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने जांच एजेंसी को जल्द से जल्द जांच पूरी करने को कहा था। उस समय मुखर्जी प्रमुख सचिव थे और उन्होंने ही राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब दिया था। कियावत उन पांच आईएएस अधिकारियों में से एक हैं, जिनके खिलाफ लोकायुक्त ने केस दर्ज किया है। कियावत 7 जुलाई 2014 से 27 जुलाई 2016 तक उज्जैन कलेक्टर रहे। भोपाल कमिश्नर के तौर पर रिटायर हुए कियावत का दावा है कि इस मामले से उनका लेना-देना नहीं है।
क्या है मामला
यह मामला बहुत पेचीदा है और करीब दस साल से चल रहा है। इंदौर के पीयूष जैन और भरत बामने ने 2013 में लोकायुक्त को शिकायत की थी। उनका आरोप था कि उज्जैन के दताना गांव में एयरस्ट्रिप को विकसित करने, उसके रखरखाव और इस्तेमाल का काम 2006 में सात साल के लिए यश एयरवेज को दिया गया था। बाद में इस कंपनी का नाम बदलकर सेंटर एविएशन एकेडमी हो गया। नौ साल तक कंपनी ने न तो लीज चुकाई और न ही इस दौरान उज्जैन में पदस्थ रहे कलेक्टरों ने इस पर ध्यान दिया। इस दौरान पीडब्ल्यूडी ने एयरस्ट्रिप के रखरखाव पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि यह खर्च कंपनी को करना था। 22 जुलाई 2015 को लोकायुक्त ने इस मामले में प्राथमिक जांच (पीई) दर्ज की और 2019 में एफआईआर दर्ज की गई। लोकायुक्त ने 2006 से 2019 के बीच उज्जैन कलेक्टर रहे पांच आईएएस अफसरों के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी के तीन एक्जीक्यूटिव इंजीनियरों और कंपनी के आठ डायरेक्टरों को भी इस मामले में आरोपी बनाया है।