उत्तराखण्डः प्रदेश सरकार के बनाए कानून कई राज्यों के लिए बने मिसाल

उत्तराखंड सरकार के बनाए हुए तीन कानून गुजरात, यूपी सहित कई राज्यों के लिए मिसाल बन रहे हैं। इन कानूनों में से दो को राज्य सरकार अमली जामा पहना चुकी है, जबकि एक कानून अभी प्रक्रिया में है।

समान नागरिक संहिता: उत्तराखंड की सरकार ने समान नागरिक संहिता के लिए एक उपसमिति का गठन किया हुआ है। उपसमिति ने प्रदेशभर से सुझाव भी ले लिए हैं, जिनका अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू होगी। उत्तराखंड की इस कोशिश को गुजरात में भी परवान चढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। गुजरात सरकार ने पिछले दिनों समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव पास किया है।

धर्मांतरण कानून : जबरन धर्मांतरण के विरुद्ध राज्य सरकार ने कानून को और सख्त कर दिया। इसकी तरह ही हरियाणा में कानून बना। उत्तराखंड की सरकार का कानून यूपी के कानून से भी सख्त है। कई और राज्यों में
उत्तराखंड की तर्ज पर धर्मांतरण रोधी कानून को सख्त करने की कवायद की जा रही है।

नकलरोधी कानून : हाल ही में धामी सरकार ने देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून लागू किया है, जिसमें नकल माफिया को 10 साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। खास बात ये भी है कि इस कानून में एक करोड़ तक के भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अब इस कानून की तर्ज पर गुजरात में बिल पेश किया गया है। पेपर लीक रोकने को बनने जा रहे कानून में गुजरात सरकार ने 10 साल की जेल और एक करोड़ जुर्माने का प्रावधान किया है।

हमारी सरकार ने तीन अहम कानूनों पर काम किया है। समान नागरिक संहिता पर काम चल रहा है। धर्मांतरण और नकलरोधी कानून लागू हो चुके हैं जो कि दूसरे राज्यों में भी तैयार किए जा रहे हैं। निश्चित तौर पर यह प्रदेशवासियों के लिए भी गौरव की बात है कि उनके राज्य के बने हुए कानूनों का अध्ययन कर दूसरे राज्यों में कानून बन रहे हैं। -पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

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