मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में दुल्हनों के प्रेग्नेंसी टेस्ट पर बवाल, कमलनाथ ने की सीएम से जांच की मांग

मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में दुल्हनों का कथित तौर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट कराए जाने पर सियासत गरमा गई है। पूर्व सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मामले की जांच कराने की मांग की है। डिंडौरी जिले में शनिवार को 219 जोड़ों का मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह कराया गया। इसके पहले उनका मेडिकल टेस्ट कराया गया। इसमें पांच दुल्हनों के प्रेग्नेंसी टेस्ट में गर्भवती होने की बात सामने आई। उधर प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने पर कांग्रेस ने सरकार पर कन्याओं का अपमान करने का आरोप लगाया है।

बेटियों का अपमान क्यों?
पूर्व सीएम कमलनाथ ने रविवार को कहा कि डिंडौरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किए जाने वाले सामूहिक विवाह में 200 से अधिक बेटियों को प्रेगनेंसी टेस्ट कराए जाने की जानकारी मिली है। मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह सत्य है? यदि यह सत्य है तो प्रदेश की बेटियों का ऐसा घोर अपमान किसके आदेश पर किया गया? क्या मुख्यमंत्री की निगाह में गरीब और आदिवासी समुदाय की बेटियों की कोई मान मर्यादा नहीं है?

उच्च स्तरीय जांच की मांग
कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार में प्रदेश पहले ही महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में देश में अव्वल है। मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराएं और दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा दें। यह मामला सिर्फ प्रेगनेंसी टेस्ट का नहीं है, बल्कि समस्त स्त्री जाति के प्रति दुर्भावनापूर्ण दृष्टिकोण का भी है।

मरकान ने पूछा- किस नियम के तहत कराया टेस्ट 
डिंडौरी के कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि हमारा सवाल है कि किस नियम तक सरकारी योजना में दुल्हनों का प्रेग्नेंसी टेस्ट किया गया? यदि कोई लिव इन में रह रहा है और अब सामाजिक परंपराओं के अनुसार शादी करना चाहता है तो क्या उसको स्वास्थ्य परीक्षण कर अयोग्य कर दिया जाएगा? यह प्रदेश की मातृशक्ति का अपमान है।

कलेक्टर ने बताया इसलिए कराया गया मेडिकल टेस्ट 
वहीं, इस मामले में डिंडौरी कलेक्टर विकास मिश्रा ने कहा कि जिले में सिकलसेल बीमारी का प्रभाव है। इसलिए सामूहिक विवाह करने से पहले मेडिकल जांच कराई जाती है। इसमें कुछ दुल्हनों ने मासिक धर्म नहीं आने की बात डॉक्टर को बताई थी। इसके बाद डॉक्टर ने उनका प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया। इसमें पांच दुल्हनों के गर्भवती होने की जानकारी मिली। इसके बाद उनका नाम सामूहिक विवाह की सूची से काट दिया गया।

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