MP News: असिस्टेंट फॉरेस्ट कंजरवेटर को झटका; हाईकोर्ट ने अनिर्वाय सेवानिवृत्ति को ठहराया सही
सहायक वन संरक्षक पद से अनिवार्य सेवानिवृत्ति देकर हटाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में पहुंचे भगवान बडेरिया को झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति को वैध ठहराया है। बडेरिया ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने पाया की स्क्रीनिंग कमेटी ने करियर रिकॉर्ड के आधार पर निर्णय लिया है। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता भगवान दास बडेरिया की तरफ से 2006 में अनिर्वाय सेवानिवृत्ति प्रदान किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि 2005 में एसीआर (सालाना गोपनीय चरित्रावली) में ग्रेडिंग बहुत अच्छी थी। इसके अलावा 2005 में एक वेतन वृद्धि के दंड की सजा को मार्च 2006 में रद्द कर दिया गया था। इसके बावजूद अप्रैल 2006 में उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान कर दी गई।
करियर रिकॉर्ड कभी संतोषजनक नहीं रहा
याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि याचिकाकर्ता का करियर रिकॉर्ड कभी भी संतोषजनक नहीं रहा। सिर्फ 2005 में उसकी ग्रेडिंग अच्छी थी। करियर रिकॉर्ड के आधार पर याचिकाकर्ता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान करने के लिए प्रकरण स्क्रीनिंग कमेटी के पास भेजा गया था। स्क्रीनिंग कमेटी ने करियर रिकॉर्ड के आधार पर याचिकाकर्ता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं, बल्कि याचिकाकर्ता के करियर रिकॉर्ड को देखकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का निर्णय लिया। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने बडेरिया की याचिका को खारिज कर दिया है।