कांग्रेस के कई दिग्गजों की किस्मत लगी दांव पर
उत्तराखंड के सियासतदानों का सियासी नसीब बुधवार को ईवीएम में बंद हो गया। इनमें भाजपा-कांग्रेस के 11 शीर्ष नेताओं के साथ बतौर निर्दलीय लड़ रहे वर्तमान और पूर्व चार मंत्री समेत 16 नेता शामिल हैं। सियासी प्रेक्षकों का मानना है कि चुनाव के नतीजे इनके लिए सिर्फ जीत-हार तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इनका सियासी भविष्य भी तय करेंगे। कांग्रेस की एकमात्र उम्मीद मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं। रावत हरिद्वार में ग्रामीण व यूएसनगर में किच्छा से चुनाव लड़ रहे हैं। उन पर दोनों सीटों पर जीत का जबरदस्त दबाव है। सतपाल महाराज पर टिका है भाजपा का प्लान: पहली बार विधानसभा की राजनीति में उतरे सतपाल महाराज को चौबट्टाखाल से सिटिंग विधायक तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया है। महाराज को लेकर भाजपा नेतृत्व खास प्लान करता भी नजर आ रहा है। ऐसे में उनके लिए चुनाव परिणाम अहम होगा।
अजय भट्ट और किशोर उपाध्याय की प्रतिष्ठा दांव पर : रानीखेत से चुनाव लड़ रहे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के राजनीतिक करियर पर चुनाव के नतीजों का गहरा असर पड़ेगा।
धनै, पंवार समेत 16 निर्दलीयों का नसीब भी होगा तय
निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे 16 नेताओं की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें दिनेश धनै-टिहरी, प्रीतम सिंह पंवार-धनोल्टी प्रमुख हैं। इनके आलवा शूरवीर सिंह सजवाण, दिवाकर भट्ट, आयेंद्र शर्मा, हरेंद्र बोरा, राम सिंह कैड़ा, लक्ष्मी अग्रवाल, अनूप नौटियाल, आशा नौटियाल, ओमगोपाल रावत, मोहन काला, सूरतराम नौटियाल, प्रकाश चंद्र रमोला, दुर्गेश लाल, रेणु बिष्ट का कद भी चुनाव परिणाम से तय होगा। एक साल के भीतर 11 बड़े नेताओं की बगावत के बाद काबीना प्रीतम सिंह, डॉ. इंदिरा हृदयेश, दिनेश अग्रवाल और सुरेंद्र सिंह नेगी पर अपनी वापसी सुनिश्चित करने की चुनौती है। कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए डॉ. हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य और शैलेंद्र मोहन सिंघल के सामने अपनी सियासी ताकत दिखाने की चुनौती है।