पिरान दरगाह में देश विदेश से आने वाले जायरीनों की संख्या क्यों कम हो रही

एक तरफ जहां उत्तराखंड सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के दावे कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ दुनियाभर में मशहूर पिरान कलियर दरगाह सरकार की बेरूखी का शिकार है. ऐसा लगता है कि राज्य सरकार सिर्फ प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के बड़े-बड़े दावे करने तक ही सीमित है. सूबे में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कईं स्कीमें शुरू की गईं हैं, लेकिन पिरान कलियर स्थित दुनियाभर में मशहूर साबिर अलाउद्दीन रहमतुल्ला अलैही की दरगाह शरीफ की तरफ अभी प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. दुनियाभर में मशहूर कलियर शरीफ दरगाह के अंदर और इर्द-गिर्द बदइंतजामी चरम पर है. साफ-सफाई से लेकर जायरीनों के रहने तक का माकूल इंतजाम नहीं है. दरगाह के मुसाफिरखाने की हालत बेहद खराब है. मुसाफिरखाने में रहना तो दूर की बात बल्कि दुर्गंध की वजह से वहां खड़े होना भी दुश्वार है.

मुसाफिरखाने में लोगों ने लंबे वक्त से जगह कब्जाई हुई है. दरगाह कमेटी ने तो अपनी आंखे मूंदी हुई ही हैं. ऐसा लगता है कि सूबे का पर्यटन विभाग भी कलियर शरीफ में सुविधाएं मुहैया कराने का जज्बा नहीं रखता है. इसी वजह से दरगाह और दरगाह के आसपास की हालत बद से बदतर हो रही है. वहीं प्रदेश के पर्यटन मंत्री की बात करें तो ऐसा महसूस होता है कि जैसे शायद वो महकमें की जिम्मेदारी मिलने के बाद कलियर गए ही नहीं.

उत्तराखंड के पिरान कलियर में मौजूद मशहूर साबिर अलाउद्दीन रहमतुल्ला अलैही की दरगाह पर साल भर दूर-दूर से आने वाले जायरीनों का मेला लगा रहता है, लेकिन सूबे पर्यटन विभाग की तरफ से से यहां कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं. प्रदेश का पर्यटन विभाग चाहे तो दरगाह और आसपास के इलाकों को डेवलप कर जायरीनों को अच्छी सहूलियतें दे पाने में मददगार साबित हो सकता है.

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