सांसदों, विधायकों के आने पर अफसरों को होना पड़ेगा खड़ा
उत्तर प्रदेश में सांसदों, विधायकों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों की शान बढ़ने वाली है. मुख्य सचिव राजीव कुमार ने राज्य अधिकारियों को प्रोटोकॉल की एक लिस्ट दी है, जिसमें बताया गया है कि जनप्रतिनिधियों के साथ कैसे पेश आया जाए. बताया जा रहा है कि बीजेपी के विधायक और सांसद लगातार CM Yogi से शिकायत कर रहे थे कि अधिकारी उन्हें खास तवज्जो नहीं देते हैं. इन्हीं शिकायतों को दूर करने के लिए मुख्य सचिव ने राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रोटोकॉल का पालन करने की अनिवार्यता कर दी है. प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने पर अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. आइए जानें यूपी के अधिकारियों के लिए तय किए गए प्रोटोकॉल के नियम.
- अगर कोई सांसद, विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि सरकारी दफ्तर में आते हैं तो वहां के अधिकारी खड़े होकर उनका स्वागत करें. साथ ही उन्हें खड़े होकर विदा करें.
- अधिकारी जनप्रतिनिधियों की कही गई बातों को ध्यान से सुनें. उनके सुझावों को नोट करें.
- अगर जनप्रतिनिधियों के सुझाव न भी मानना हो तो विनम्रता के साथ उन्हें मना करें.
- अगर सांसद या विधानमंडल के सदस्य चिट्ठी लिखें या फोन पर किसी समस्या के बारे में बताएं तो उसे तवज्जो दिया जाए और जल्द से उसका निपटारा किया जाए.
- दफ्तर में आए जनप्रतिनिधियों के लिए अधिकारी चाय, नाश्ता का भी इंतजाम करें.
टीवी चैनलों पर प्रसारित खबरों के मुताबिब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक सीओ ने बीजेपी विधायक के साथ ऊंची आवाज में बात की थीं. इसके अलावा गाजीपुर, वाराणसी, गोरखपुर आदि जिले के कई सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों पर जनप्रतिनिधियों की शिकायत नजरअंदाज करने के आरोप लगे हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार वीवीआईपी ट्रीटमेंट खत्म करने की बात करते रहते हैं. इसी के तहत उन्होंने लाल बत्ती के चलन तक को खत्म कर दिया है. वहीं योगी सरकार ने जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों को विशेष बर्ताव करने का आदेश दिया है.