देश भर में महाशिवरात्रि की धूम

देशभर में आज धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है. इस बार महाशिवरात्रि आज और कल दो दिन मनाई जा रही है. दोनों ही दिन भक्त भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सकते हैं. महाशिवरात्रि की रात हिंदू धर्मग्रंथों में बेहद महत्वपूर्ण है.

महाशिवरात्रि को मनाने के पीछे क्या मान्यता है?

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है. मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ विवाह हुआ था. महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. 13 जनवरी को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि है और मध्यरात्रि में 11 बजकर 35 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है. ऐसे में महाशिवरात्रि आज भी मनाई जा रही है और कल भी मनाई जाएगी

महाशिवरात्रि का अर्थ?

महाशिवरात्रि शब्द का अर्थ है महा कल्याणकारी रात्रि, शिव का अर्थ है कल्याण और तिथियों में चतुर्दशी के स्वामी है शिव जी. शास्त्रों के मुताबिक, इसका बड़ा महत्व है. इस महत्व से संबंध महाशिवरात्रि का व्रत है जो कि फाल्गुन की कृष्ण चतुदर्शी तिथि को किया जाता है. बता दें कि प्रदोश काल रात्रि का आरंभ यानि अर्धरात्रि और निशीथ काल के दौरान महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है. इस विधि से श्रृद्धा और विश्वास से जो लोग व्रत और जप, ध्यान, साधना करते है उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.
वरदान कैसे पूरा होता है?

इसका बिल्कुल ये अर्थ नहीं है कि आप जो इच्छा करेंगे वो पूरी हो जाएगी. जब तक कोई व्यक्ति गहन ध्यान साधना नहीं करता है तब तक बैठे बिठाए किसी की मनवांछित इच्छाएं पूरी नहीं होती हैं. इसके लिए आपको साधना करनी चाहिए.

भगवान शिव की पूजा में कुछ हो या ना हो ध्यान अवश्य होना चाहिए और (ऊं) की साधना भी करनी चाहिए. ऊं के जप से नाद स्वर की उत्पत्ति होती है. आज के दिन भक्तों को शिव जी और मां पार्वती को याद करना चाहिए क्योंकि ये रात सृष्टि के प्रारंभ की रात है. यहां से सृष्टि का उदय होना शुरू होता है. इसमें बेहद महत्वपूर्ण है महाशिवरात्रि की साधना.

आपको बता दें कि इस दिन हर व्यक्ति का गुरुमंत्र अलग होता है और जो कान में कहा जाता है वो शक्ति पात्र होता है. आज के दिन गुरु लोग मंत्र देते है या फिर शिष्य अपने गुरु से दीक्षा प्राप्त करते है. ये दीक्षा, साधना, गुरुमंत्र की रात है. यह स्वास्थ संबंधी कष्टों को काटने की रात है और ये आत्मा की शुद्धि की रात है. क्योंकि आत्मा और संस्कार के शुद्ध हुए बिना आपको कभी भी पाप से मुक्ति नहीं मिलेगी. यह दुर्भाग्य को काटने की रात है.

कैसे शिवलिंग की पूजा करें?

स्फटिक के शिवलिंग के अभिषेक से धन और यश की कमी दूर होती है. इसलिए स्फाटिक की शिवलिंग स्थापित करें. इसके लिए ऊं नम: शिवाय के मंत्र का जाप कीजिए तीन से चार घंटे बैठकर और अभिषेक करते रहिए. फिर अन्न से, फल से, जल से, घी से, भस्म से और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें. अगर आप नियमित रुप से यह अभिषेक करते है तो आपको बहुत सारे फलों की प्राप्ति होती है. योग और साधना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होगी.

बता दें कि गंगाजल कोई भी हो बस वह शुद्ध होना चाहिए इस जल से आप स्नान कराएं फिर स्नान कराने के बाद चंदन लगाइए. चंदना लगाने के साथ ही फूल और बेलपत्र अर्पित करें इसके बाद धूप या फिर दीप से भगवान शिव का पूजन करें. आप घर में शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं. शिवलिंग की जो योनी नाली उत्तर दिशा की ओर रखें और अभिषेक करते समय अपना मुंह भी उत्तर की तरफ रखें.

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