जिम कार्बेट पार्क की सैर पर जाएं इन सर्दियों में

सर्दियां शुरू हो रही हैं। महानगरों और बड़े शहरों में समर्थ परिवारों के बच्चे तो अभी से छुट्टियों का प्लान बना रहे हैं। अगर आप प्रकृति और वन्यजीव प्रेमी हैं, तो छुट्टियों में जिम कार्बेट नेशनल पार्क की सैर पर निकल सकते हैं। यह भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है। किसी समय इस अभयारण्य में जानवरों का शिकार किया जाता था, मगर अब यहां संरक्षित वन्य प्राणी निर्भय होकर रहते हैं। यही वजह है कि आप यहां विलुप्त होते बंगाल टाइगर को देख सकते हैं। उत्तराखंड के नैनीताल स्थित जिम कार्बेट ने वन्य जीवों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाई है।

वन्य प्रेमियों के लिए आकर्षण :
जिम कार्बेट पर्यटकों और पशुप्रेमियों को अपनी तरफ आर्कषित करता हैं। देश-विदेश से लगभग 70 हजार पर्यटक हर साल इस पार्क को देखने आते हैं। यह साहसिक कार्यों में रूचि रखने वालों के लिए बेमिसाल जगह हैं। यह पार्क 521 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, जिससे पहाड़, नदी का तटवर्ती इलाका, हरे-भरे क्षेत्र और बड़ी झीलें शामिल हैं। इस पार्क को 1936 में बनाया गया था उस वक्त इसे हेली नेशनल पार्क कहा जाता था, जिसे ब्रिटिश फारेस्ट डिपार्टमेंट ने बनवाया था। 1954-55 में इस पार्क को रामगंगा नेशनल पार्क नाम दिया गया, पर आखिर में 1955-56 में मशहूर लेखक और वन्यजीव संरक्षक जिम कार्बेट के नाम पर इसका नाम ‘जिम कार्बेट नेशनल पार्क‘ रखा गया। इस पार्क में जानवरों के शिकार पर पाबंदी है, पर घरेलू इस्तेमाल के लिए थोड़ी बहुत लकड़ियां काटने की इजाजत है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जानवरों को बेतहाशा शिकार हुआ, वृक्ष भी काटे गए और इस पार्क को काफी क्षति पहुंचाई गई थी। लगभग 109 जानवरों का शिकार किया गया था। 1991 में इस पार्क में कार्बेट टाइगर रिजर्व बनाया गया और इसके लिए इसमें कुछ जमीन और जोड़ी गई। अब यह अभयारण्य लगभग 798 किलोमीटर बड़ा है।

वन्यजीवों की दुर्लभ प्रजातियां :
इस पार्क में करीब 488 विभिन्न प्रजातियों के पौधे आप देख सकते हैं। यह जंगल काफी हरा-भरा और घना है। आप इस पार्क में पशु-पक्षियों की ऐसी प्रजातियां देख सकते हैं, जिन्हें देखने की आपने कल्पना-मात्र की है। बाघों की सबसे दुर्लभ प्रजाति बंगाल-टाइगर भी आप यहां देख सकते हैं। यहां के पहाड़ी इलाकों में चीता भी देख सकते हैं। इस पार्क की सबसे खतरनाक प्रजाति है ‘इंडियन पाइथान‘।

इको टूरिज्म को दिया बढ़ावा :
इस पार्क का सबसे मुख्य काम है, जंगली जानवरों की सुरक्षा करना इसलिए यहां के प्रबंधक ने इकोटूरिज्म को बढ़ावा दिया है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए गाइड की व्यवस्था की गई है। इकोटूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यहंा वर्कशाॅप भी लगाया जाता है ताकि यहां आने वाले पर्यटक पेड-पौधे और वन्यप्राणियों की रक्षा करने के तरीके सीख सकें और इस पार्क के वृक्षों और वन्य प्राणियों को नुकसान न पहुंचाएं। यहां पर आने वाले पर्यटकों को पार्क के अंदर टहलने की इजाजत नहीं पर ट्रेकिंग के शौकीनों को पार्क में जाने की इजाजत है पर सिर्फ वहां मौजूद गाइड के साथ। सर्दी के दिनों में यहां काफी ठंड होती हैं। इसलिए ट्रेकिंग के लिए थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है। पार्क के दक्षिण-पश्चिम के कालागढ़ बांध हैं, जहां आप सर्दी के दिनों में बाहर से आने वाले खूबसूरत पक्षियों को देख सकते हैं। पार्क के अद्भुत दृश्य पूरी दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित करते हैं।

कब जाएं वहां
इस पार्क को घूमने का सबसे बेहतर समय नवम्बर से जून तक है। गर्मियों में यहां मौसम गर्म होता हैं। पर गर्मियों की शाम यहां बेहद सुहावनी होती हैं। अगर आप ठंड में जा रहे हैं तो यहां का तापमान पांच डिग्री से 30 डिग्री के बीच होता हैं इसलिए आप अपने साथ गर्म कपड़े ले जाना न भूलें। मानसून के दौरान यहां भारी बारिश होती है। सड़क और रेलमार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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