गर्जियाः जहां भगवान शंकर की अद्र्धागिनी साक्षात हैं…

रामनगर से 10 कि0मी0 की दूरी पर ढिकाला मार्ग पर गर्जिया नामक स्थान पर देवी गिरिजा माता के नाम से प्रसिद्ध हैं। देवी गिरिजा जो गिरिराज हिमालय की पत्री तथा संसार के पालनहार भगवान शंकर की अद्र्धागिनी हैं, कोसी (कौशिकी) नदी के मध्य एक टीले पर यह मंदिर स्थित है। वर्ष 1940 तक इस मन्दिर के विषय में कम ही लोगों को ज्ञात था, वर्तमान में गिरिजा माता की कृपा से अनुकम्पित भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच गई है। इस मन्दिर का व्यवस्थित तरीके से निर्माण 1970 में किया गया। जिसमें मन्दिर के वर्तमान पुजारी पं0 पूर्णचंद्र पाण्डे का महत्वपूर्ण प्रयास रहा है। इस मंदिर के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी पाप्त करने के लिए इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि को भी जानना आवश्यक है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पुरातत्ववेत्ताओं का कथन है कि कूर्मांचल की सबसे प्राचीन बस्ती ढिकुली के पास थी, जहां पर वर्तमान रामनगर बसा हुआ है। कोसी के किनारे बसी इसी नगरी का नाम तब वैराट पत्तन या वैराटनगर था। कत्यूरी राजाओं के आने के पूर्व यहां पहले कुरु राजवंश के राजा राज्य करते थे, जो पाचीन इन्द्रपस्थ (आधुनिक दिल्ली) के साम्राज्य की छत्रछाया में रहते थे। ढिकुली, गर्जिया क्षेत्र्ा का लगभग 3000 वर्षों का अपना इतिहास रहा है, प्रख्यात कत्य्ाूरी राजवंश, चंद राजवंश, गोरखा वंश और अंग्रेजी शासकों ने य्ाहां की पवित्र्ा भूमि का सुख भोगा है। गर्जिय्ाा नामक शक्तिस्थल सन 1940 से पहले उपेक्षित अवस्था में था, किन्तु सन 1940 से पहले की भी अनेक दन्तश्रुतिय्ाां इस स्थान का इतिहास बताती हैं। वर्ष 1940 से पूर्व इस मन्दिर की स्थिति आज की जैसी नहीं थी, कालान्तर में इस देवी को उपटा देवी (उपरद्यौं) के नाम से जाना जाता था। तत्कालीन जनमानस की धारणा थी कि वर्तमान गर्जिय्ाा मंदिर जिस टीले में स्थित है, वह कोसी नदी की बाढ में कहीं ऊपरी क्षेत्र्ा से बहकर आ रहा था। मंदिर को टीले के साथ बहते हुय्ो आता देख भैरव देव द्वारा उसे रोकने के प्रय्ाास से कहा गय्ाा- थि रौ, बैणा थि रौ। (ठहरो, बहन ठहरो), य्ाहां पर मेरे साथ निवास करो, तभी से गर्जिय्ाा में देवी उपटा में निवास कर रही है।

धार्मिक पृष्ठभूमि
लोक मान्य्ाता है कि वर्ष 1940 से पूर्व य्ाह क्षेत्र्ा भय्ांकर जंगलों से भरा पड़ा था, सर्वपथम जंगलात विभाग के तत्कालीन कर्मचारिय्ाों तथा स्थानीय्ा छुट-पुट निवासिय्ाों द्वारा टीले पर मूर्तिय्ाों को देखा और उन्हें माता जगजननी की इस स्थान पर उपस्थिति का एहसास हुआ। एकान्त सुनसान जंगली क्षेत्र्ा, टीले के नीचे बहते कोसी की प्रबल धारा, घास-फूस की सहाय्ाता से ऊपर टीले तक चढना, जंगली जानवरों की भय्ांकर गर्जना के बावजूद भी भक्तजन इस स्थान पर मां के दर्शनों के लिय्ो आने लगे। जंगलात के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी य्ाहां पर आय्ो, कहा जाता है कि टीले के पास मां दुर्गा का वाहन शेर भय्ांकर गर्जना किय्ाा करता था। कई बार शेर को इस टीले की परिक्रमा करते हुए भी लोगों द्वारा देखा गय्ाा।

गिरिजा माता महात्म्य्ा
भगवान शिव की अर्धांगिनि मां पार्वती का एक नाम गिरिजा भी है, गिरिराज हिमालय्ा की पुत्र्ाी होने के कारण उन्हें इस नाम से भी बुलाय्ाा जाता है। इस मन्दिर में मां गिरिजा देवी के सतोगुणी रुप में विद्यमान है। जो सच्ची श्रद्धा से ही प्रसन्न हो जाती हैं, य्ाहां पर जटा नारिय्ाल, लाल वस्त्र्ा, सिन्दूर, धूप, दीप आदि चढा कर वन्दना की जाती है। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु घण्टी य्ाा छत्र्ा चढाते हैं। नव विवाहित स्त्र्ािय्ाां य्ाहां पर आकर अटल सुहाग की कामना करती हैं। निःसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिय्ो माता में चरणों में झ्ाोली फैलाते हैं।

वर्तमान में इस मंदिर में गर्जिया माता की 4.5 फिट ऊंची मूर्ति स्थापित है, इसके साथ ही सरस्वती, गणेश जी तथा बटुक भैरव की संगमरमर की मूर्तिय्ाां मुख्य्ा मूर्ति के साथ स्थापित हैं। इसी परिसर में एक लक्ष्मी नाराय्ाण मंदिर भी स्थापित है, इस मंदिर में स्थापित मूर्ति य्ाहीं पर हुई खुदाई के दौरान मिली थी।

कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान के पावन पर्व पर माता गिरिजा देवी के दर्शनों एवं पतित पावनी कौशिकी (कोसी) नदी में स्नानार्थ भक्तों की भारी संख्य्ाा में भीड़ उमड़ती है। इसके अतिरिक्त गंगा दशहरा, नव दुर्गा, शिवरात्र्ाि, उत्तराय्ाणी, बसंत पंचमी में भी काफी संख्य्ाा में दर्शनार्थी आते हैं।

पूजा के विधान के अन्तर्गत माता गिरिजा की पूजा करने के उपरान्त बाबा भैरव ( जो माता के मूल में संस्थित है) को चावल और मास (उड़द) की दाल चढाकर पूजा-अर्चना करना आवश्यक माना जाता है, कहा जाता है कि भैरव की पूजा के बाद ही मां गिरिजा देवी की पूजा का सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है।

कैसे पहुंचे
रामनगर तक रेल और बस सेवा उपलब्ध है, उससे आगे के लिय्ो टैक्सी आराम से मिल जाती है। रामनगर में रहने और खाने के लिय्ो कई स्तरीय होटल उपलब्ध है। आप यहां से जिम कार्बेट पार्क भी जा सकते हैं। निकट में ही स्थित है होटल रोजवुड रिसोर्ट, जो क्षेत्र का शानदार व अच्छी सेवाओं के लिए जाना जाता है।

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