अखाड़ा परिषद ने विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद का किया बहिष्कार

राममंदिर का निर्माण का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. साधु-संत अब अधिक जोर से उठाने वाले हैं. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की धर्म संसद खत्म होने के बाद आज से प्रयागराज में वीएचपी की धर्म संसद शुरू हो गई है. प्रयागराज में 31 जनवरी से लेकर एक फरवरी चलने वाली धर्म संसद में मंदिर मुद्दे पर निर्णायक फैसला होने की बात कही जा रही है. वहीं अखाड़ा परिषद की तरफ से इस बैठक में कोई नहीं पहुंचा है. विश्व हिंदू परिषद के धर्म संसद के बहिष्कार का फैसला किया है. परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी कहते हैं कि राम मंदिर को चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है, इसीलिए संत समाज बैठक में नहीं जायेगा.

धर्म संसद में वीएचपी की धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास महाराज, राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ राम विलास वेदांती, वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष वीएस कोकजे, बाबा रामदेव, यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्या शामिल हैं.

पांच हजार साधु-संतों के शामिल होने की उम्मीद

इस धर्म संसद में करीब पांच हजार साधु-संतों के शामिल होने की उम्मीद है जो राम मंदिर को लेकर अहम निर्णय ले सकते हैं. आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह धर्मसंसद काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने प्रयागराज में होने वाले धर्म संसद की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके लिए विहिप के उपाध्यक्ष चंपत राय, केंद्रीय मार्ग दर्शक मंडल के संयोजक वीवेश्वर मिश्र, धमार्चार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी, राजेंद्र सिंह पंकज व अन्य पदाधिकारी धर्म संसद में आमंत्रित करने के साधु-संतों सें संपर्क कर रहे हैं.

29 जनवरी से शुरू होनी थी राममंदिर की सुनवाई 

धर्म संसद को दिन 31 जनवरी इसलिए रखा गया था क्योंकि राममंदिर की सुनवाई 29 जनवरी से शुरू होनी थी. बता दें कि एक बार फिर राममंदिर की सुनवाई टाल दी गई है.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती बोले- 21 फरवरी से शुरू होगा काम
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की बुलाई धर्म संसद में प्रस्ताव पास हुआ कि 21 फरवरी से अयोध्या में राम मंदिर का काम शुरू हो जाएगा. धर्म संसद में नन्दा, जया, भद्रा, पूर्णा नाम की 4 शिलाएं शंकराचार्य को सौंपी गई, यही शिलाएं लेकर अयोध्या पहुंचने के लिए हिंदुओं से आह्वान किया गया है. कुंभ में शंकराचार्य की धर्म संसद तीन दिन चली और कल आखिरी दिन राम मंदिर पर प्रस्ताव पास हुआ. 10 फरवरी के बाद साधु संत अयोध्या के लिए कूच करेंगे. इतना ही नहीं धर्म संसद में यह भी कहा गया है कि 21 फरवरी से राम मंदिर बनने तक सविनय अवज्ञा आंदोलन किया जाएगा और अगर इस बीच कोई रोकता है तो साधु संत गोली खाने के लिए भी तैयार हैं.

धर्म संसद में  इस बार राममंदिर का मुद्दा होगा खास

विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा की मानें तो धर्म संसद में गाय, गंगा समेत अनेक मुद्दे उठाए जाते हैं. लेकिन इस बार राममंदिर का मुद्दा खास रहेगा. उनका कहना है कि संत-महात्मा अनेक संकल्प सभाओं के माध्यम से सरकार को कई बार आगाह कर चुके हैं. केंद्र में अपनी सरकार है. इसके लिए संसद से कानून बनाकर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जैसा कि भारतीय जनता पार्टी ने ही अपने संकल्प पत्र में राम मंदिर के प्रति वचनबद्धता दिखाई है. उसने संवैधानिक दायरे की बात की है तो कानून बनाकर इसका हल करें. विहिप और साधु-संतों का यह बयान भी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.

गौरतलब है कि धर्म संसद में जो प्रस्ताव पारित होता है वह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. धर्म संसद के माध्यम से सरकारों से बातचीत की जाती है.

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