बंगाल में चलेगा मोदी का जादू या फिर लौटेंगीं ममता बनर्जी?

इस साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव होने है। सबकी दिलचस्पी इसी बात में है कि आखिर इस बार पश्चिम बंगाल में किसकी सरकार होगी। क्या ममता बनर्जी अपनी सत्ता बचाने में कामयाब हो पाएंगी या फिर भाजपा को उसके मेहनत का परिणाम मिलेगा? ममता बनर्जी जहां लोगों को लुभाने के लिए नए-नए योजनाओं की शुरुआत कर रही हैं और अपने कामों को गिनवा रही हैं। वहीं भाजपा ममता सरकार पर भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल खड़े कर रही है। ममता बनर्जी और पार्टी के सभी बड़े नेता प्रचार-प्रसार में जुट गए हैं। भाजपा की ओर से भी केंद्रीय नेतृत्व लगातार पश्चिम बंगाल पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए हैं। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा हो या फिर गृह मंत्री अमित शाह, इसके अलावा कई बड़े मंत्री भी लगातार पश्चिम बंगाल के दौरे पर जा रहे हैं और वहां चुनावी प्रचार कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर बंगाल में बिगुल किसका बजेगा?

तृणमूल कांग्रेस जहां पूरी तरह से ममता बनर्जी पर निर्भर है वहीं भाजपा अपने केंद्रीय नेतृत्व नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा की लीडरशिप में आगे बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें है। हाल में ही एबीपी न्यूज़-CNX ने अपना ओपिनियन पोल जारी किया था जिसमें बताया गया था कि आखिर बंगाल में किसको कितनी सीटें मिल सकती हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक एक बार फिर से ममता बनर्जी की सरकार बनते दिख रही है। हालांकि, ममता का जादू इस बार 2016 की तरह नहीं चल सकेगा। 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस 211 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इस बार इस ओपिनियन पोल के मुताबिक उसे महज 151 सीटें ही मिल रही हैं। बात अगर भाजपा की करें तो उसे 117 सीटें ही मिलती दिख रही है। इस ओपिनियन पोल के मुताबिक 117 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बनने जा रही है। 2016 के मुताबिक एक जबरदस्त फायदा होता हुआ दिखाई दे रहा है। 2016 में भगवा पार्टी को सिर्फ 3 सीटें ही मिल पाई थी। भाजपा को उम्मीद है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे वैसे वैसे उसके वोटों में इजाफा होगा और उनकी पार्टी ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर दे पाएगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 सीटें मिली थी। पार्टी के वोट परसेंटेज में भी इजाफा देखा जा रहा है। अब बात तीसरे विकल्प यानी कि कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन की करे तो इस गठबंधन को महज 24 सीटें ही मिलती दिखाई दे रही है। 2016 में गठबंधन को 44 सीटें मिली थी। अन्य के खाते में 2 सीटें जाती दिखाई दे रही है।

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