PM मोदी ने महाराजा सुहेलदेव स्‍मारक का किया शिलान्यास

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रावस्ती के महान योद्धा राजा सुहेलदेव की 4.20 मीटर ऊंची प्रतिमा के निर्माण समेत स्‍मारक का वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बसंत पंचमी के दिन शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अपने पराक्रम से मातृभूमि का मान बढ़ाने वाले, राष्ट्रनायक महाराजा सुहेलदेव की जन्मभूमि और ऋषि मुनियों ने जहां तप किया, बहराइच की इस पुण्यभूमि को मैं नमन करता हूं। बसंत पंचमी की आप सभी को बहुत-बहुत मंगलकामनाएं। मां सरस्वती भारत के ज्ञान-विज्ञान को और समृद्ध करें। पीएम मोदी ने कहा कि राम चरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं- ऋतु बसंत बह त्रिविध बयारि यानी बसंत ऋतु में शीतल, मंद, सुगंध ऐसी तीन प्रकार की हवा बह रही है। इसी हवा, इसी मौसम में खेत-खलिहान, बाग, बगान से लेकर जीवन का हर हिस्सा आनंदित हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज मुझे बहराइच में महाराजा सुहेलदेव जी के भव्य स्मारक के शिलान्यास का सौभाग्य मिला है। ये आधुनिक और भव्य स्मारक, ऐतिहासिक चित्तौरा झील का विकास, बहराइच पर महाराजा सुहेलदेव के आशीर्वाद को बढ़ाएगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि आज महाराजा सुहेलदेव जी के नाम पर बनाए गए मेडिकल कॉलेज को एक नया और भव्य भवन भी मिला है। बहराइच जैसे विकास के आकांक्षी जिले में स्वास्थ सुविधाएं बढ़ना यहां के रहने वालों के जीवन को आसान बनाएगा। इसका लाभ आसपास के जिले श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर को तो होगा ही साथ ही साथ ही नेपाल से आने वाले मरीजों को भी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास सिर्फ वो नहीं है, जो देश को गुलाम बनाने वालों, गुलामी की मानसिकता के साथ इतिहास लिखने वालों ने लिखा, भारत का इतिहास वो भी है जो भारत के सामान्य जन में, भारत की लोकगाथाओं में रचा-बसा है। जो पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ा है। आज जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष पर प्रवेश कर रहा है तो ऐसे महापुरुषों का त्याग, वीरता, शहादत को नमन करना और उससे प्रेरणा पाना, इससे बड़ा अवसर नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि देश की पांच सौ से ज्यादा रियासतों को एक करने का कठिन कार्य करने वाले सरदार पटेल जी के साथ क्या किया गया, इसे देश का बच्चा भी भली-भांति जानता है। आज दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल की है, जो हमें प्रेरणा दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के अनेक ऐसे सेनानी हैं, जिनके योगदान को अनेक वजहों से मान नहीं दिया गया। चौरी-चौरा के वीरों के साथ जो हुआ, वो क्या हम भूल सकते हैं? महाराजा सुहेलदेव और भारतीयता की रक्षा के लिए उनके प्रयासों के साथ भी यही प्रयास किया गया।

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