किसान काला दिवस: पंजाब, हरियाणा में लोगों ने घरों और वाहनों पर लगाए काले झंडे
चंडीगढ़ । केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के छह महीने पूरे होने के मौके को चिह्नित करने के लिए बुधवार को किसानों द्वारा आहूत ‘काला दिवस’ का समर्थन करने के लिए पंजाब में अनेक स्थानों पर लोगों ने अपने घरों पर काले झंडे लगाए। किसान पिछले छह महीने से उक्त कानूनों के खिलाफ दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हैं। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मुक्तसर जिले के बादल गांव स्थित अपने घर पर काला झंडा लगाया और केन्द्र सरकार से प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग स्वीकार करने की अपील की। हरियाणा में भी भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रमुख गुरनाम सिंह ने प्रदर्शन का साथ देने के लिए किसानों से अपने घर और वाहनों पर काले झंडे लगाने की अपील की। कांग्रेस, शिअद और आम आदमी पार्टी सहित कई राजनीतिक दलों ने किसानों के ‘काला दिवस’ मनाने के फैसले का समर्थन करने का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की थी कि किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर 26 मई को वे ‘काला दिवस’ मनायेंगे। पंजाब में कई जगह किसानों ने काले झंडे हाथ में लिए और केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मार्च भी निकाला। इसी तरह को प्रदर्शन पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी कई जगह किया गया। किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने केन्द्र सरकार पर कानून वापस ना लेने को लेकर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को शुरू हुए अब छह महीने हो चुके हैं।’’
पंढेर और गुरनाम सिंह ने कहा कि मकानों तथा वाहनों पर काले झंडे लगाने के अलावा, भाजपा नीत केन्द्र सरकार के पुतले भी जलाए जाएंगे। किसान संगठन ने मजदूर, युवा बेरोजगार, व्यापारी, दुकानदारों सहित सभी तबकों से अपने घरों, दुकानों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर काले झंडे लगाने की अपील की है। उन्होंने लोगों से अपनी कार, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर, ट्रक और अन्य वाहनों पर भी काले झंडे लगाने की अपील की है। शिअद के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया, ‘‘ किसानों के प्रदर्शन के आज छह महीने पूरे होने पर, मैं केन्द्र से किसानों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने और कानून वापस लेने की अपील करता हूं। मेरे बादल आवास पर आज काला झंडा लगाया गया है और अकाली दल के अन्य नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने भी ऐसा ही किया है। किसानों के लिए काला दिवस।’’