Big Breaking: अफगान की इकोनॉमी पर कंट्रोल चाहता है पाकिस्तान

तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान अभी अफरा-तफरी और अस्थिरता के माहौल से जूझ रहा है. नई सरकार को किसी भी कीमत पर आर्थिक मंदी से बच है. शायद इसलिए तालिबान को भी ये फैसला मंजूर हो. अफगानिस्तान के बजट का 80 फीसदी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आता है, जो बंद हो चुकी है. जिसकी वजह से हाल के महीनों में एक लंबे समय से चल रहा आर्थिक संकट और बढ़ गया है. तालिबान शायद ही ये अलगाव बर्दाश्त कर सके.

शीर्ष सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान अफगान अर्थव्यवस्था में प्रवेश करने के लिए पहले से ही कोशिश कर रहा था. यह पहले से ही सेना और खुफिया जानकारी में था. सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान की मुद्रा की शुरुआत के बाद जाहिर तौर पर अफगान मुद्रा का मूल्य गिर जाएगा. सूत्रों ने ये भी कहा कि एक बार ऐसा होने पर, अफगानिस्तान में सभी व्यापार और व्यवसाय पाकिस्तान की कीमत और मात्रा पर निर्भर होंगे, जबकि तालिबान को केवल पाकिस्तान को अपने ड्रग्स भेजने के लिए मजबूर किया जाएगा. पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को हक्कानी नेटवर्क का संरक्षक माना जाता है, जो अल कायदा के साथ अपनी साठगांठ के कारण संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी समूह है. हक्कानी नेटवर्क का नेतृत्व करने वाले सिराउद्दीन हक्कानी को तालिबान ने गृहमंत्री के प्रमुख पद पर नियुक्त किया है. हक्कानी अमेरिका में मोस्ट वॉन्टेंड आतंकी है. उसपर अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का इनाम भी घोषित कर रखा है. इस्लामाबाद पर पंजशीर में तालिबान के हमले में मदद करने का आरोप भी लगाया गया है. अफगानिस्तान की पिछली सरकार ने भी पाकिस्तान पर तालिबान की सहायता करने का आरोप लगाया था. हालांकि, इस्लामाबाद ने इस आरोप से इनकार किया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *