उत्तराखंड राज्य हमने बनाया, हम ही इसे बचाएंगे – काशी सिंह ऐरी
राज्य आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले एवं जनभावनाओं से जुड़े क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल ने इस चुनाव में राज्य हमने बनाया है, हम ही इसे बचाएंगे की मुहिम चलाई हुई है। दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी का कहना है कि चुनाव में दल को ताकत मिली तो दल सरकार बनाने या गिराने में इसका इस्तेमाल नहीं करेगा। दल के केंद्रीय अध्यक्ष से हुई बातचीत में उन्होंने कुछ अन्य सवालों का बेबाकी से जवाब दिया। जिसके कुछ प्रमुख अंश इस तरह हैं।
-उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान जनभावनाएं दल के साथ जुड़ी रहीं, इसके बाद भी क्या वजह रही कि दल की सियासी जमीन लगातार खिसक रही है?
इसकी कई वजह रही हैं हमारे कुछ नेताओं की महत्वाकांक्षाओं की वजह से जनता में इसका गलत संदेश गया। इसके अलावा चुनाव में वोट के लिए अन्य दलों द्वारा भ्रष्ट तरीके जैसे शराब व धनबल का अपनाया जाना भी वजह है।
-क्षेत्रीय दलों को लेकर भाजपा और कांग्रेस को कैसे देखते हैं?
प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों का शुरू से एजेंडा रहा है कि प्रदेश में क्षेत्रीय दल को उभरने न दिया जाए। उन्हें संगठित व मजबूत न होने दिया जाए।
-चुनाव में दल को सींटे मिलने के बाद उसकी क्या भूमिका होगी?
चुनाव में जनता ने हमें ताकत दी तो भाजपा और कांग्रेस को कतई समर्थन नहीं दिया जाएगा। जरूरी हुआ तो यह कहा जाएगा कि जिसे समर्थन देना है वह दल को समर्थन दें।
-इस बार पहली बार ऐसा हुआ है जब आप खुद चुनाव नहीं लड़ रहे इसकी कोई अहम वजह?
यदि मैं चुनाव लड़ता तो एक जगह सीमित रह जाता, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसकी दूसरी वजह राजनीतिक परिदृश्य में गिरावट से मैं खिन्न हूं।
-विधानसभा की सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी खड़े न किए जाने से सवाल खड़े हो रहे हैं।
दल ने प्रयास किया था कि सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए जा सकें, लेकिन कुछ अन्य दलों के साथ गठबंधन की बात चल रही थी, उन दलों के लिए सीटें छोड़ी थीं, लेकिन न गठबंधन हो सका न ही दल छोड़ी गई सीटों पर प्रत्याशी खड़े कर पाया।
-दल का पूर्व में भाजपा और कांग्रेस को समर्थन दिए जाने का निर्णय सही था या गलत। इसका जनता में क्या संदेश गया?
हमने 2002 में कांग्रेस को कोई समर्थन नहीं दिया। उस दौरान हमारे चार विधायक चुनाव जीतकर आए, लेकिन 2007 में हमने नौ बिंदुओं पर भाजपा को समर्थन दिया। इसके बाद दल में विभाजन की स्थिति बन गई थी। 2012 में इसका जनता में गलत संदेश गया।