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हाईकोर्ट ने कहा : गिद्धों को बचाने के लिए कदम उठाए केंद्र

उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर पशुओं के इलाज में इस्तेमाल कुछ दवाओं की वजह से गिद्धों की आबादी में गिरावट मुद्दे पर केंद्र सरकार से दायर याचिका में उठाई गई चिंताओं की पड़ताल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने साथ ही सरकार को खाद्य शृंखला में अहम कड़ी इन पक्षियों को बचाने के लिए भी कदम उठाने को कहा है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की जनहित याचिका पर केंद्र, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के साथ-साथ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।

पीठ ने संबंधित पक्षों को याचिका में उठाए गए पहलू की पड़ताल करे और वह हर कदम उठाए जो आहार श्रृंखला की अहम कड़ी और पर्यावरण को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण गिद्धों को बचाने के वास्ते जरूरी है। पीठ ने सभी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में गिद्धों को बचाने और उनके संरक्षण की मांग की है।

साथ ही दावा किया है कि पशुओं के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, जो गिद्धों के लिए विषैले और हानिकारक हैं। याचिका में कहा गया है कि इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा अब तक इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए कदम नहीं उठाए गए हैं। याचिका के अनुसार बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के अनुसार, ओरिएंटल व्हाइट बैक्ड गिद्ध और लंबे बिल वाले गिद्धों की आबादी में 1991 और 1993 के बीच और 2000 में भी 92 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

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