Madhya Pradesh: उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने की मौजूदा व्यवस्था का विरोध शुरू

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर मे दर्शन के नाम पर रेट तय कर दिए गए हैं। प्रोटोकॉल में दर्शन के लिए 250 रुपये, गर्भगृह में जाने के लिए 750 रुपये और भस्मारती में शामिल होने के लिए 200 रुपये का शुल्क वसूला जा रहा है। दर्शन के नाम पर की गई इस व्यवस्था ने भक्त और भगवान के बीच दूरी बना दी है। दर्शन के नाम पर महाकाल भक्तों से ली जा रही इस राशि को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। श्री महाकाल नियमित दर्शन भोग आरती संगठन की वार्षिक सभा में स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर अवधेशपुरी शामिल हुए। कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर में सशुल्क दर्शन व्यवस्था पर सरकार के प्रतिनिधियों को जमकर फटकार लगाई।

स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर क्रांतिकारी सन्त डॉ अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि मैं किसी सरकार या व्यवस्था का विरोधी नहीं हूं। महाकाल के भक्तों की पीड़ा एवं संघर्ष को देखकर एक संत होने के नाते मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि सरकार अपने दिल पर हाथ रखकर सोचे कि जिन भांजे-भांजियों को सरकार पांच किलो राशन दे रही है, उनसे या गरीब परिवारों से बाबा महाकाल पर जल चढ़ाने का 750 रुपये लेना आखिर कहां तक उचित है? एक गरीब परिवार रुपये देकर मंदिरों के दर्शन कैसे कर सकेगा? यदि सशुल्क दर्शन से ही खजाना भरना है तो नेता-अधिकारियों से, मंत्रियों से और तो और प्रधानमंत्री से भी करोड़ों रुपये का दान ले लो क्योंकि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। महाकाल प्रबंध समिति का खजाना भी भर जाएगा। गरीब भक्तों से सशुल्क दर्शन के नाम पर बाबा महाकाल के दर्शन से दूर करना उनके संवैधानिक मूल अधिकार से वंचित करना है। उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को छीना जाना है। महाकाल प्रबंध समिति ऐसी व्यवस्था से भक्तों में छोटे-बड़े का भेदभाव क्यों पैदा कर रही है? इस दौरान कार्यक्रम में मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन भी मौजूद थे।

1500 करोड़ खर्च, फिर भी गर्भगृह के सामने से रास्ता नहीं बना 
संत अवधेश पुरी ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं है। कुछ माह पूर्व ही उन्होंने धार्मिक नगरी उज्जैन में 1500 करोड़ रुपये खर्च कर श्री महाकाल महालोक का निर्माण करवाया है। होना तो यह चाहिए था कि इस निर्माण के दौरान ही एक ऐसा रास्ता मंदिर के गर्भगृह के सामने से निकाला जाता जिससे कम भीड़ होने पर श्रद्धालु बाबा महाकाल को स्पर्श कर पाते। अत्यधिक भीड़ होने पर कतार से बाबा महाकाल के दर्शन कर लेते। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद भी इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई। अब सशुल्क दर्शन के नाम पर श्रद्धालुओं से राशि वसूली जा रही है।

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