भाजपा सरकार और संगठन में बदलाव के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे हैं। 2020 में सरकार बनने के बाद से अब तक मंत्रिपरिषद में बदलाव या विस्तार नहीं हुआ है। मंत्रियों के चार पद खाली है। दूसरी तरफ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी उसे बढ़ाने की कोई अधिकृत सूचना नहीं दी गई है। कर्नाटक में भाजपा को मिली हार के बाद संगठन ने चुनावी राज्यों के लिए कमर कस ली है। बदलाव की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर चार दिग्गज नेताओं की बैठक के बाद प्रदेश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसे प्रदेश में बदलाव से पहले एकजुटता दिखाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, अब सबकी नजरें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 27 और 28 मई के दिल्ली दौरे पर टिकी हैं। ऐसे तो यह दौरा आधिकारिक है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व से उनकी मुलाकात होगी और बदलाव की रूपरेखा तय होगी। मध्यप्रदेश में इसी साल के अंत में चुनाव है। इससे पहले पुरानी और नई भाजपा की लड़ाई खुलकर सामने आने लगी है। नाराज और असंतुष्ट नेताओं के उपेक्षा के आरोपों ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। सागर में मंत्रियों के वर्चस्व की लड़ाई सामने आने के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक की। इससे प्रदेश में बड़े बदलाव के कयास लग रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है। कुछ मंत्रियों को बदला जा सकता है। प्रदेश भाजपा में बढ़ते विरोध को दबाने के लिए कई नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसे लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है। इस मामले को लेकर भाजपा नेता कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं।