आखिर क्यों भाता है विदेशी पर्यटकों को गोवा के बीच
www.kaumiguldasta.com : कर्नाटक और महाराष्ट्र से घिरे गोवा की झीलें, झरने एवं नदियां और बाग.बगीचों के अलावा सागर तट देशी.विदेशी पर्यटकों को वर्ष भर आकर्षित किए रहते हैं। यहां के अनेक बीच मसलन. कलंगूट, कोलवा, डोना पाउला, मीरामार, अंजुना, बागाटोर, अगोंडा, आरामबोल व पोलोलेम आदि पर्यटकों से भरे रहते हैं। सागर तट के साथ ही यहां नारियल, ताड़, काजू, कटहल व आम के वृक्षों की भी भरमार है।
गोवा की खास विशेषता यहां का जल परिवहन है। मोटरबोट व अन्य नौकाएं डोना पाउला से मारगाओ हार्बर के बीच तथा मांडवी व जुआरी नदियों के तट पर पर्यटकों को सैर कराने के लिए सदैव उपलब्ध रहती हैं।
गोवा पर लगभग 450 वर्षों तक पुर्तगालियों का शासन रहा। भारत के स्वाधीन होने के 16 वर्ष बाद 1961 में यह पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ और भारत का अंग बन कर एक स्वतंत्र राज्य बन गया।
अरब सागर को छूने वाले गोवा का पश्चिमी छोर इतना विशाल है कि उत्तर से दक्षिण तक सागर तट की लंबाई लगभग 150 किलोमीटर है।
सागर किनारे मीलों तक फैले रेतीले तट पर लोग धूप का आनंद लेते हैं। अंजुना बीच पर हिप्पी लड़के.लड़कियों का क्रीड़ा स्थल भी है। हजारों की संख्या में हिप्पी नंगे बदन दिन पर रेत पर लेट कर धूम्रपान का आनंद लेते हैं। अरब सागर से पेड़.पौधों और हरियाली के बीच से आने वाली पछुआ बयार का स्पर्श भी सबको रोमांचित कर देता है। पर्यटक गुब्बारे के सहारे सागर की लहरों पर उड़ते हुए पैरासेलिंग के रोमांचकारी आनंद का अनुभव भी कर सकते हैं।
गोवा की राजधानी पणजी से छह किलोमीटर दूर सात किलोमीटर तक धनुषाकार कलंगूट बीच को तो सागरतट की रानी कहा जाता है। मार्च से मई के बीच यहां सैलानियों की भीड़ उमड़ पड़ती है। पणजी के दक्षिण महागांव से मात्र छह किलोमीटर दूर ताड़ व नारियल के वृक्षों से आच्छादित कोलवा बीच एक खूबसूरत समुद्र तट है। यहां से सूर्याेदय व सूर्यास्त के मनोरम दृश्य बड़े ही विहंगम लगते हैं।
मीरामार बीच पणजी से तीन किलोमीटर दूर है। पणजी का निकटतम बीच होने के कारण यहां सैलानियों का तांता लगा रहता है। गोवा का सबसे प्रसिद्ध डोना पाउला बीच पणजी से सात किलोमीटर दूर है। इस सागर तट पर सैलानियों की अत्यधिक भीड़ होने से यहां काफी रौनक रहती है। यहां अरब सागर की लहरें किनारे को छूकर लहलहाती वापस सागर में मिल जाती हैं।
उत्तर गोवा में मांडवी नदी के तट पर गोवा की राजधानी पणजी में पुर्तगाली सभ्यता तथा ईसाई धर्म का काफी प्रभाव है, इसलिए यहां के अधिकतर निवासी पश्चिमी वेशभूषा में ही दिखाई पड़ते हैं। यहां प्रत्येक मकान में लाल रंग की ढलवां छत है। यह एक रूमानी शहर है। पणजी के बीचोंबीच बीजापुर नवाब का पुराना महल है। विश्व प्रसिद्ध चर्च वसिलिका आफ बाम जीसस चर्च भी यहीं है।
चर्च के परिसर में संत फ्रांसिस जेवियर के पार्थिव शरीर की 400 वर्षों से ममी रखी हुई है। यह ममी जीवंत प्रतीत होती है। संत जेवियर का पार्थिव शरीर चांदी की मंजूषा में रखा हुआ है। इसके ऊपर शीशे का आवरण है। बिना किसी मसाले के लंबे समय तक रखे रहने पर भी शव में कोई विकृति नहीं आई है। हर दस वर्ष पर शव को मंजूषा से निकाल कर एक माह तक खुले मंच पर लोगों के दर्शनार्थ रख दिया जाता है। गोवा का मंगेश मंदिर भी दर्शनीय है। यह मंदिर पणजी से 23 किलोमटर की दूरी पर स्थित है। पोंडा स्थित मंगेश का मंदिर 400 वर्ष पुराना है। भगवान शिव का यह मंदिर गोवा का सबसे खूबसूरत मंदिर है। गोवा के अन्य दर्शनीय स्थलों में अगोडा का किला, मेथम झील, दूध सागर, महावीर वन्य जीवन अभ्यारण्य तथा गोवा संग्रहालय व गोवा के ऐतिहासिक किलों का नाम लिया जा सकता है। गोवा में 17वीं शताब्दी में निर्मित पणजी से 20 किलोमीटर दूर अडवंदा फोर्ट में प्राचीर से लगी 79 बड़ी तोपें आज भी देखी जा सकती हैं। इसी किले की बदौलत पुर्तगाली सेना ने डच और फ्रांसीसी सेना को परास्त किया था। गोवा आने के लिए सबसे बढ़िया समय अक्टूबर से मई तक है। जून से सितंबर तक यहां बारिश होती है। इसलिए उस समय कम पर्यटक आते हैं। गोवा शेष भारत से जल, वायु, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।