हरिद्वार कुंभ में शामिल हुए एक और साधु की कोरोना से मौत

देहरादून: एक स्थानीय अस्पताल में जूना अखाड़ा के एक साधु महंत विमल की मौत होने की खबर के बाद कई तरह के सवाल और चर्चाएं हैं. देश भर के साथ ही उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है और इस बात पर काफी बहस हो चुकी है कि जोखिम लेकर कुंभ मेले का आयोजन किया गया. वहीं, ये भी खबरें हैं कि कुंभ में शामिल हुए प्रमुख साधुओं में से कोरोना से मौत का यह नौवां मामला है. प्रमुख अखाड़ों में से एक पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महंत विमल की मौत गुरुवार को होना बताया गया है. समाचार एजेंसियों के ज़रिये आई खबरों के मुताबिक उनके शव को शनिवार को हरिद्वार के पास कांगड़ी गांव में बने श्रीमंत प्रेम गिरि आश्रम में दफनाया गया.

कौन थे महंत विमल?
जूना अखाड़ा के रबींद्रानंद सरस्वती ने बताया कि महंत विमल पिछले करीब दो दशकों से अखाड़े के साथ जुड़े हुए थे और हाल में हरिद्वार में संपन्न हुए कुंभ में उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि भी दी गई थी. यह उपाधि उन्हें जूना अखाड़ा के प्रमुख स्वामी अवधेशानंद गिरी ने दी थी. बीते 19 अप्रैल को विमल गिरी कोरोना पॉज़िटिव पाए गए थे. बीते बुधवार को हालत बिगड़ने पर उन्हें देहरादून के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. हरिद्वार में कुंभ मेले के संपन्न होने के बाद से अब तक कम से कम छह साधुओं के निधन की खबरें आ चुकी हैं. यह आंकड़ा समाचार एजेंसी के मुताबिक है, लेकिन एक मीडिया संस्थान की रिपोर्ट कहती है कि महंत विमल गिरी नौवें साधु थे, जिनकी कोरोना से मौत हुई. गौरतलब है कि कुंभ मेले के आयोजन को लेकर यह बहस चली थी, जो अब भी चल रही है कि जब विशेषज्ञों ने इस तरह की चेतावनी दी थी कि यह आयोजन वायरस के संक्रमण के लिहाज़ से ‘सुपर स्प्रेडर’ हो सकता था, तब भी इसे रोका क्यों नहीं गया. दूसरी तरफ, खबरों में यह भी कहा गया है कि इस समय कम से कम 250 साधु संन्यासी कोरोना संक्रमित हैं.

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